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सदन में सांसदों का व्यवहार ; देश का बुध्दिजीवी दुखी !

नमस्कार दोस्तों ! सदन में सांसदों का व्यवहार देश का बुद्धिजीवी दुखी है। लोकतंत्र के मंदिर में जनता के सेवकों का यह व्यवहार शर्मिंदा करता है । श्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त को मनाने का फैसला लिया। ऐसे ही राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से आपको अपडेट कराने के लिए यह जानकारी प्रस्तुत है अवश्य पढ़ें और शेयर करें।

सदन में सांसदों का व्यवहार ; देश का बुद्धिजीवी दुखी !

सदन में संयमित व्यवहार बनाए सांसद ; लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की अनियंत्रित व्यवहार से देश का बुद्धिजीवी दुखी है।

सदन में देश की समस्याओं को उठाने और मुद्दों पर बहस करने की परंपरा ऐसा लगता है की समाप्ति की ओर है।

पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि विपक्ष केवल विरोध कर रहा है

और संसद को नहीं चलने देने को ही राजनीति बनाकर इसे ही अपनी जीत समझ रहा है।

संसद के बहिष्कार और संसद को न चलने देने की नीति के कारण जहां महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा ही नहीं हो पाई

और अनेक विधेयक बिना चर्चा के ही पास हो गए।

लोकतंत्र में कमजोर विपक्ष होना भी लोकतंत्र को कमजोर बनाता है ।

वर्तमान समय में लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष का प्रदर्शन इस बात को सिद्ध करता है।

विरोध की नीति बनाने में विपक्ष असफल रहा है। और उसी का नतीजा है कि दोनों सदनों में बार-बार ऐसी घटनाएं हुई।

जो शर्मिंदगी का कारण बन रही है। दोनों सदनों के सदस्यों से इस देश की जनता को अनेक अपेक्षाएं रहती हैं

परंतु इन सदस्यों के आचरण से ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त !

15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और देश का बंटवारा भी हुआ।

14 अगस्त को पाकिस्तान बना और 15 अगस्त को आजाद भारत बना पर इस देश विभाजन और स्वतंत्रता को पाने में बहुत क्षति उठानी पड़ी।

उस बंटवारे के दर्द को भुला पाना आसान नहीं है। बंटवारे में हुए दंगों ने लाखों लोगों की जान ली

और अनगिनत लोग बेघर बार हो गए । उन्हें अपना घर द्वार जमीन जायदाद और परिजनों को छोड़ना पड़ा ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।

श्री मोदी ने कहा कि यह दिन हमें भेदभाव वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल

प्रेरित करेगा बल्कि इससे एकता सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।

✍️आकाश दीक्षित एडवोकेट, मण्डला।

सामाजिक राजनीतिक उथल-पुथल को जानने के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट

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