सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं... हिंदी कविताएं!! Total Post View :- 738

सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं..हिंदी कविताएं!!

नमस्कार दोस्तों! सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं…!! आज पूरी दुनिया संकट में है। एक वायरस ने बड़ी-बड़ी महाशक्तियों को भी बौना साबित कर दिया। पूरी दुनिया घरों में कैद है। ऐसे में कलमकार की कलम चल पड़ती है। और अपने आसपास देश देशांतर की गतिविधियों पर लिखने को आतुर हो जाती है। आज हम ऐसे ही मंडला के रचनाकार श्री नवीन जैन अकेला जी की कलम से उद्धृत रचना के कुछ अंश प्रस्तुत कर रहे हैं।

रचनाकार ; श्री नवीन जैन अकेला (मण्डला)

1- सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं!

सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं!

झूठे भी सच को निभाने लगे हैं!!

समय को जो मुट्ठी में रखते थे यारों!

समय को वो शक्ति बताने लगे हैं!!

वफा से ना वाकिफ हरदम रहे जो!

जमाते वो अपनी जमाने लगे हैं!!

गद्दारी के वायरस कोरोना से घातक!

गटर में यह फिर कुल बुलाने लगे हैं!

उन नापको का अब करो कुछ उपाय!

अकेला जो घर को जलाने लगे हैं!!

2- दीप जले उजियारा फैले!!

दीप जले उजियारा फैले,

आओ सभी प्रयास करे !

तम दानव का वध करने,

कण-कण में उजास भरें !!

विश्वास की शक्ति ने ही तो,

सागर पर सेतु बनाया था !!

नन्हीं गिलहरी ने भी तो,

अपना कर्तव्य निभाया था !!

यह कठिन समय कट जाएगा,

निर्भीक रहें हरगिज ना डरें !!

तम दानव का वध करने,

कण कण में उजास भरे !!

घर-घर संकल्प आलोकित हो,

हर दर पर दीप जले प्यारा !

ये तम का जहर मिटे निश्चित,

बहे प्रयत्नों की अमृतधारा !

जब अखिल विश्व अकुलाया हो,

बने विश्वगुरु संताप हरे !

तम दानव का वध करने,

कण कण में उजास भरे !!

सच्चाई को अब गुनगुनाने लगे हैं और दीप जले उजियारा फैले कविताएं श्री नवीन जैन अकेला की स्वरचित रचनाएं हैं। ऐसी ही क्षेत्रीय रचनाकारों की कविताओं के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट

http://Indiantreasure. in

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