सकट/गणेश चतुर्थी व्रत Total Post View :- 1190

सकट गणेश चतुर्थी व्रत

31 अगस्त 2022 को सकट गणेश चतुर्थी व्रत पड़ रहा है।यह व्रत माघ कृष्ण पक्ष चौथ को किया जाता है ।इस दिन श्री गणेश जी एवं चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।

आज हम आपको गणेश चौथ की पूजन विधि, पूजन सामग्री, व्रत कथा, गणेश जी व कार्तिकेय जी की पृथ्वी परिक्रमा, शिवजी का गणेश जी को आशीर्वाद, गणेशजी की आरती आदि समस्त जानकारी विस्तार से बताएंगे।

चतुर्थी तिथि श्री गणेश को अत्यन्त प्रिय है,अतःइस व्रत को करने से विघ्नविनाशक गणेशजी की परम कृपा प्राप्त होती है।

1- सकट गणेश चतुर्थी व्रत कैसे करें पूजन! 

  • प्रात:काल उठकर गंगाजल से स्नान कर भगवान के समक्ष पूजा का संकल्प लें। श्री गणेश को लाल पुष्प अर्पित करें।
  • गणेशजी की प्रार्थना करते हुए दिन की शुरुआत करें। सकट/गणेश चतुर्थी व्रत में दिनभर व्रत रखते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन करें।
  • फिर दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें।विधिवत पंचोपचार पद्धति से श्रीगणेश की पूजा करें। फिर शाम को
  • चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए। पूजन में चंद्रमा को सफेद पुष्प अर्पित करें।व दुग्ध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • पूजा स्थल पर गणेश गौरी के स्थापना करके उनका पूजन कर वर्ष भर उन्हें घर में रखा जाता है ।

अवश्य पढ़ें ? गौरी गणेश, कलश , नवग्रह, पन्चामृत, पंचमेवा,रांगोली का महत्व व निर्माण विधि

2- सकट गणेश चतुर्थी व्रत की पूजन सामग्री ! worship material!

  • तत्पश्चात गणेश जी की पूजा कर नैवेद्य सामग्री तिल, गुड़, घी,व फलों से चंद्रमा व गणेशजी का भोग लगाया जाता है।
  • उस समस्त भोग को एक टोकरी में रखकर रात्रि भर के लिए ढककर रख दिया जाता है। जिससे पहार कहते हैं ।
  • पुत्रवती माताएं पुत्र तथा पति की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं।सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ,
  • ढके हुए पहार को पुत्र ही खोलता है। तथा भाई बंधुओं में उस प्रसाद को बांटता है ।
  • जिससे प्रेम भावना स्थाई होती है। फिर व्रत पूजा के संबंध में पौराणिक कथाएं बताई जाती हैं ।

3- क्या है सकट गणेश व्रत चतुर्थी की कथा! What is Story of Sakat Ganesh!

  • सकट/गणेश चतुर्थी व्रत कथा इस प्रकार है । एक बार की बात है जब शिव भगवान अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय एवं गणेश के साथ बैठे हुए थे।
  • उसी समय वहां पर देवता लोग अपनी विपत्ति को दूर करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए वहां पर पहुंचे।
  • भगवान शिव ने दोनों पुत्रों से पूछा कि तुम में से कौन सा वीर है जो देवताओं के कष्टों का निवारण करेगा।
  • तब कार्तिकेय ने अपने को देवताओं का सेनापति प्रमाणित करते हुए देवताओं की रक्षा करने में समर्थ बताया।
  • तथा स्वयं को सर्वोच्च देवपद का अधिकारी बताया।यह सुन शिव जी ने गणेश जी से भी उनकी इच्छा पूछी।

4-कार्तिकेय की पृथ्वी परिक्रमा! Karthikeya’s Earth orbit!

  • तब गणेशजी ने बड़े ही विनम्र भाव से कहा कि पिताजी आपकी आज्ञा हो तो मैं सेनापति बने बिना ही,
  • सब संकट दूर कर सकता हूं, मुझे बड़ा देवता बनाएं या ना बनाएं इसका मुझे कोई लोभ नहीं है।
  • यह सुनकर भगवान शिव ने हंसते हुए दोनों पुत्रों को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा ।तथा यह शर्त रखी कि;
  • जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आ जाएगा वहीं वीर तथा सर्वश्रेष्ठ देवता घोषित होगा।
  • यह सुनते ही कार्तिकेय जी बड़े गर्व से अपने वाहन मोर पर चढ़कर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चल दिए।

5-कैसी थी गणेशजी की पृथ्वी परिक्रमा! Ganeshji revolves around the earth!

  • इधर गणेश जी ने सोचा कि चूहे के बल पर तो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना बहुत ही कठिन है ।
  • तब उन्होंने एक उपाय सोचा। तथा सात बार अपने माता-पिता की परिक्रमा करके बैठ गए।
  • उधर रास्ते में कार्तिकेय को पूरी पृथ्वी मंडल में, उनके आगे चूहे का पद चिन्ह दिखाई दिया।
  • परिक्रमा करके लौटने पर जब निर्णय की बारी आई।कार्तिकेय जी गणेश जी को नीचा दिखाने लगे।
  • व अपनी शाबाशी में पूरे भूमंडल का अपने आप को एकमात्र पर्यटक बताया।

6-क्या था गणेशजी को शिवजी का आशीर्वाद! Shiva’s blessings to Ganesha!

  • इस पर गणेश ने शिवजी से कहा कि माता-पिता में ही समस्त तीर्थ समाहित थे ।
  • इसलिए मैंने आप की सात बार परिक्रमा की।गणेश की यह बात सुन सभी देवता तथा कार्तिकेयजी ने सिर झुका लिए।
  • शिवजी ने गणेश की प्रशंसा की और आशीर्वाद दिया कि त्रिलोकी में सर्वप्रथम तुम्हारी पूजा होगी।
  • तब गणेश ने शिवजी की आज्ञा से सभी देवताओं का संकट दूर किया। इसीलिए ऐसे सकट/गणेश चतुर्थी व्रत भी कहा जाता है।
  • शिवजी ने चंद्रमा को बताया कि चौथ के दिन यह तुम्हारे मस्तक का ताज बन पूरे विश्व को शीतलता प्रदान करेगा।

7- सकट गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व! Importance of fast!

  • जो भी स्त्री पुरुष सकट/गणेश चतुर्थी व्रत को गणेशपूजा, चंद्रअर्घ्यदान देगा उसका त्रिविध ताप (दैहिक दैविक भौतिक) दूर होगा।
  • तथा ऐश्वर्य, पुत्र सौभाग्य को प्राप्त करेगा। इस व्रत को करने से श्रीगणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
  • पूजा होने पर श्रीगणेश जी की आरती अवश्य करें। आरती भगवान की स्तुति होती है, जो पूजा को पूर्ण करती है।
  • यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है ।तथा सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है।
  • विद्या बुद्धि के दाता श्रीगणेश सभी क्षेत्र में सफलता व रिद्धि सिद्धि के देने वाले हैं।

अवश्य पढें?पूजा में आरती कैसे करें ! आरती का महत्व व विधि! माँ अम्बे जी की आरती!

8- श्रीगणेश जी की आरती! Shree Ganesh Aarti!

सकट/गणेश चतुर्थी व्रत हेतु गणेशजी की आरती👇👇

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा लड्डूउन के भोग लगे संत करें सेवा। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा….

एकदंत दयावंत चार भुजाधारी, मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा….

अंधन को आंख देत कोढ़ीन को काया, बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा..

रिद्धि सिद्धि दोऊ नारि चंवर डुले बार-बार, मूषक वाहन सवार संतन हितकारी,जयगणेश जयगणेश जयगणेश देवा.

दीनन की लाज राखो शंभु सुतवारी,कामना को पूरी करो जग बलिहारी, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा….

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा..

अवश्य पढ़ें? किसी भी पूजा की तैयारी कैसे करें ?

इस लेख में हमने सकट गणेश चतुर्थी व्रत से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।

आपको यह लेख अच्छा लगे तो अपने दोस्तों में भी अवश्य शेयर करें।

ऐसी ही त्यौहारों की जानकारी के लिए देखें👇👇

http://Indiantreasure.in

Spread the love

6 thoughts on “सकट गणेश चतुर्थी व्रत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!