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शरीर में मौजूद बायोक्लॉक ; जानिए अंगों के कार्य करने का समय?

नमस्कार दोस्तों! हमारे शरीर में मौजूद बायोक्लॉक जो प्रकृति से संचालित होती है। और इससे ही निर्धारित होता है कि कौन सा अंग किस समय कार्य करेगा। यह प्रकृति से मिलकर अपने आप सब काम करती रहती है।

मानव शरीर में मौजूद बायोक्लॉक जिसे प्रकृति चलाती है। किंतु कुछ जगहों में मनुष्य अपनी लाइफ स्टाइल को मनमानी ढंग से बिगाड़ देते हैं। तब यह क्लॉक भी बिगड़ जाती है ।जिससे बहुत से रोग होने लगते हैं। जैसे अनिद्रा, भूख ना लगना, अपच होना, हार्टअटैक आदि शरीर में मौजूद बायोक्लॉक के बिगड़ने से होते हैं

दोस्तों यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। इसे अच्छी तरह से समझ लेने पर हम प्रकृति के साथ स्वयं को जोड़कर चलना सीख जाएंगे। और बड़ी बड़ी बीमारियों से मुक्ति पा जाएंगे। अतः इसे ध्यान पूर्वक अंत तक अवश्य पढ़ें।

आज हम जानेंगे की बायोक्लॉक क्या होती है? और यह किस तरह से कार्य करती है? तथा हमारे शरीर का कौन सा अंग किस समय एक्टिवेट रहता है?

शरीर में मौजूद बायोक्लॉक क्या होती है?

  • हमारे शरीर के अंदर एक घड़ी चलती रहती है। जिसे बायो क्लॉक कहते हैं। यह घड़ी प्रकृति से जुड़ी हुई है।
  • जैसे-जैसे प्रकृति में बदलाव आते हैं, वैसे ही हमारा शरीर अलग-अलग तरह की क्रियाएं करता है।
  • अलग-अलग हार्मोन व अलग अलग अंग एक्टिवेट होने लगते हैं।
  • जैसे सूर्य के निकलते ही पेड़ पौधे ऑक्सीजन छोड़ते हैं, तथा फूल खिलने लगते हैं, पक्षी चहचहाने लगते हैं।
  • ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन सब के भीतर भी एक यंत्र प्रकृति से जुड़ा हुआ है।जो इन्हें संचालित करता है।
  • बस उसी तरह हमारे शरीर के अंदर प्रकृति से जुड़ी हुई यह घड़ी भी अपना काम करती है। जिसे बायोक्लॉक कहते हैं।

शरीर में मौजूद बायोक्लॉक कैसे काम करती है?

  • किस समय में कौन सा अंग एक्टिव होता है और कौन सा समय उन अंगों के रेस्ट का होता है ।
  • यह सब सूर्य और चंद्रमा से ही संचालित होता रहता है। यह अंधविश्वास नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक तथ्य है।
  • अंगों के निर्धारित समय पर यदि हम स्वयं को प्रकृति के अनुसार ढाल लेते हैं तो हम पूर्णतः स्वस्थ रह सकते हैं।

सुबह 3:00 से 5:00 का समय लंग्स!

  • सुबह 3:00 से 5:00 बजे का समय लंग्स (फेफड़े) का होता है।
  • 3:00 बजते ही हमारे लंग्स एक्टिवेट हो जाते हैं। यह सूर्योदय से पूर्व का समय होता है ।
  • इस समय उठकर प्राणायाम और योग करने से हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं।
  • किंतु जो लोग इस समय सो कर नहीं उठते। उनके फेफड़े कमजोर होते हैं।
  • आपने देखा होगा कि इसी समय में ज्यादातर अस्थमा के अटैक भी आते हैं।
  • किंतु इसके विपरीत शाम के समय 3:00 से 5:00 बजे से लंग्स की गति धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगती है।

सुबह 5:00 से 7:00 का समय बड़ी आंत!

  • इस समय 5:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक हमारी बड़ी आंत अपने कार्य करती है। यह पेट को साफ करती है।
  • इस समय जो लोग उठे हुए रहते हैं, उनका पेट अच्छे से साफ होता है।
  • किंतु जो लोग इस समय सोते रहते हैं उनका पेट अपने आप साफ नहीं होता।
  • फिर यही कब्ज का रूप ले लेता है, जिससे अनेकों बीमारियां होती हैं।

सुबह 7:00 से 9:00 बजे का समय आमाशय!

  • पेट का ऊपरी हिस्सा जिसे अमाशय कहते हैं। यह 7:00 से 9:00 बजे एक्टिव होता है।
  • भोजन करने पर अमाशय में ही भोजन आकर रूकता है।
  • सही समय से उठने वालों को इसी समय भूख लगती है।।इस समय खाया पिया बहुत अच्छे से पचता है।
  • किंतु इससे पहले कभी भी नहीं खाना चाहिए। हमेशा सूर्योदय के बाद ही खाना चाहिए।
  • शाम को 7:00 से 9:00 बजे अमाशय बंद पड़ जाता है। और इस समय खाने से यह पूरी रात जागता है।
  • जिससे सुबह के 7:00 से 9:00 बजे एक्टिव नहीं हो पाता। और शरीर में मौजूद बायोक्लॉक बिगड़ जाती है।
  • जो सारे सिस्टम को बिगाड़ देती है और हम रोगी हो जाते हैं।

सुबह 9:00 से 11:00 बजे का समय तिल्ली (स्प्लीन)!

  • तिल्ली (स्प्लीन) का काम रक्त बनाना और भोजन से रस बनाना होता है।
  • रक्त से मांस, मज्जा, अस्थि आदि निर्मित होते हैं ।
  • तथा सुबह 9:00 से 11:00 का समय शरीर में रक्त बनने का कार्य होता है।

सुबह 11:00 से 1:00 बजे हार्ट का समय!

  • वैसे तो हार्ट पूरे समय एक्टिव रहता है। किंतु सुबह 11:00 से 1:00 बजे के समय यह बहुत ज्यादा एक्टिव होता है।
  • इस समय शरीर में बहुत ज्यादा एनर्जी होती है। और बड़े बड़े फैसले और बड़े-बड़े कार्य करने में मदद मिलती है।
  • सारी दौड़ भाग के कार्य इस समय में किए जा सकते हैं।
  • वहीं रात के 11:00 से 1:00 बजे तक हार्ट की एनर्जी बहुत कम होती है। और इसकी गति धीमी रहती है।
  • आपने देखा होगा कि अक्सर हार्टअटैक भी इसी समय होते हैं।
  • अक्सर रात में 11:00 से 1:00 के बीच में पनीर, ग्रेवी, राजमा आदि हैवी भोजन करने से गैस बनती है
  • और यह हार्ट पर अटैक करती है। जिससे हार्ट अटैक आ जाते हैं।
  • किंतु हल्का भोजन करने से या समय पर भोजन कर लेने से इस स्थिति को टाला जा सकता है।

दोपहर 1:00 से 3:00 बजे छोटी आंत का समय!

  • छोटी आंत इस समय भोजन को पचाने का काम करती है। और भोजन से रस लेना शुरु करती है।
  • इसी समय पेट में गैस बनना शुरू हो जाती है।
  • ज्यादातर आपने देखा होगा कि दोपहर 3:00 बजे के बाद ही एसिडिटी की समस्या उत्पन्न होने लगती है।

3:00 से 5:00 बजे का समय ब्लैडर!

  • भोजन से रस लेने के पश्चात ब्लैडर एक्टिव होता है और यूरिन होती है इस समय बॉडी डिटॉक्स करती है।

शाम 5:00 से 7:00 किडनी का समय!

  • यह किडनी का लास्ट वर्किंग टाइम होता है।
  • शाम को 5:00 से 7:00 बजे किडनी डिटॉक्स करती है।
  • इसके बाद से पानी भी कम पीना चाहिए।
  • शाम का भोजन भी 7:00 बजे तक कर लेना चाहिए।
  • जैसे-जैसे हम भोजन में लेट होते जाते हैं हमारी बॉडी के रेस्ट का समय शुरु होता जाता है।
  • और इस समय किया गया भोजन पच नहीं पाता है।

शरीर मे मौजूद बायोक्लॉक,रात में 7:00 से 9:00 बजे पेरिकार्डियम का समय!

  • हमारी बॉडी के प्रत्येक ऑर्गन के ऊपर एक लेयर होती है।जिसमें थोड़ा-थोड़ा पानी भरा हुआ होता है।
  • इसे ही पेरिकार्डियम कहते हैं। यह सब ओर से हमारे शरीर के अंगों को ढँक कर रखती है।
  • और बाहरी वातावरण का अंगों पर असर नहीं होने देती।
  • यह सूर्यास्त के समय बदलते हुए मौसम से भीतरी अंगों में होने वाले ठंडी, गर्मी आदि प्रभावों से उन्हें बचाती है।
  • और इस समय रात में 7:00 से 9:00 यह एक्टिव हो जाती है।

रात 9:00 से 11:00 बजे ट्रिपलवार्मर का समय!(शरीर मे मौजूद बायोक्लॉक)

  • यह एक नाड़ी होती है, जो स्ट्रेस रिलीज का काम करती है।जिससे नींद आती है।
  • और ऐसे ही बहुत से कार्य जिनसे शरीर रिलैक्स होता है करती है।
  • यह रात के 9:00 से 11:00 बजे एक्टिव होती है इसे ट्रिपलवार्मर कहते हैं।
  • इस नाड़ी के एक्टिवेट होने के समय यदि हम अपनी लाइफ स्टाइल को बदल कर हैवी भोजन करना या
  • रात जागरण करना आदि करते हैं तो इससे नाड़ी का कार्य बहुत डिस्टर्ब होता है।
  • जिससे नींद नहीं आती और हम अनिद्रा का शिकार हो जाते हैं।

रात 11:00 से 1:00 बजे का समय गाल ब्लैडर!

  • लीवर से 2 घंटा पहले इसका कार्य शुरू होता है।
  • रात को 11:00 से 1:00 बजे तक गाल ब्लैडर एक्टिव होता है।
  • इसके साथ साथ ही बॉडी के अन्य ऑर्गन भी प्रकृति के साथ अपने आप ही चलते और बंद होते रहते हैं।
  • यह सब हमारे शरीर में मौजूद वायु क्लॉक ही निर्धारित करती है। जो प्रकृति से मिलकर करती है।

शरीर में मौजूद बायोक्लॉक को प्रकृति से सैट करें!

  • यदि इसका लाभ हमें लेना है तो हमें अपने आप को प्रकृति के हवाले कर देना चाहिए।
  • और प्रकृति के साथ रहना चाहिए। सूर्य की रोशनी, चंद्रमा की चांदनी, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी इन सभी के साथ में
  • प्राकृतिक वातावरण के साथ हवा, पानी, धूप आदि के संपर्क में रहना चाहिए।
  • जिससे हमारी बायो क्लॉक प्रकृति से सैट हो जाएगी।
  • यदि हमारे शरीर में मौजूद बायो क्लॉक प्रकृति से सैट रहेगी तो बड़ी बड़ी बीमारियों का इलाज अपने आप हो जाता है।

अब तक आप शरीर में मौजूद बायोक्लॉक के बारे में अच्छी तरह समझ चुके होंगे। अतः इसे समझ कर अपने जीवन को प्रकृति से जोड़ने का प्रयास करें। और यह जानकारी अपने मित्रों और परिजनों में अधिक से अधिक शेयर करें ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट

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