महाशिवरात्रि में करें शिवजी को प्रसन्न। Total Post View :- 2128

महाशिवरात्रि में जागरण क्यों करते हैं, भूलकर न चढ़ाएं ये सामग्री, जानिए 2023 पूजा मुहूर्त एवं कथा

महाशिवरात्रि में करें शिवजी को प्रसन्न ! जी हाँ ! भोलेनाथ की भक्ति सारे पापों का नाश कर देती है। शिवजी अत्यंत थोड़े प्रयासों से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसीलिए इन्हें आशुतोष कहते हैं।

भक्तिभाव से की गई पूजा ही सर्वोपरि है। आइए आज जानते हैं कि शिवजी की प्रसन्नता के लिए क्या करना चाहिए।

इस लेख के प्रमुख बिंदु हैं-

  • महाशिवरात्रि कब मनाते हैं ?
  • शिवपूजा मुहूर्त कौन सा है?
  • क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
  • पूजन सामग्री क्या है?
  • कैसे करें शिव पूजा?
  • क्या काम नहीं करने चाहिए?
  • बेलपत्ती का महत्व
  • यह अवश्य करें!
  • शिवजी की आरती!
  • महाशिवरात्रि की कथा क्या है?
  • बारह ज्योतिर्लिंग कौन से हैं?
  • बेलपत्र का महत्व व मंत्र।

महाशिवरात्रि कब मनाते हैं !

  • वैसे तो साल में 2 बार शिवरात्रि पड़ती है। एक श्रावण मास में, दूसरी फाल्गुन मास में ।
  • फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। यह फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं।

शिवपूजा मुहूर्त कौन सा है ?

  • बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले आशुतोष भगवान की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में की जाती है।
  • 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि की पूजा के मुहूर्त इस प्रकार है।
  • महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त: शाम 06:13 बजे से रात 09:24 बजे तक
  • महाशिवरात्रि द्वितीय प्रहर पूजा मुहूर्त: रात 09:24 बजे से देर रात 12:35 बजे तक
  • महाशिवरात्रि तृतीय प्रहर पूजा मुहूर्त: देर रात 12:35 बजे से अगली सुबह 03:46 बजे तक
  • महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा मुहूर्त: 19 फरवरी, सुबह 03:46 बजे से 06:56 बजे तक होगी

महाशिवरात्रि 2023 पारण का समय

  • जो लोग 18 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत रखेंगे, वे 19 फरवरी को सुबह 06:56 बजे से दोपहर 03:24 बजे के बीच कर लेना चाहिए.
  • इस प्रकार महाशिवरात्रि को चारों प्रहर में चार बार शिवपूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?

  • शिवपुराण के अनुसार इस दिन शिव व पार्वती का विवाह हुआ था। अतः आज शिवपूजा की जाती है।
  • ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय विष निकलने पर भगवान शिव ने विष पी लिया था। और सृष्टि की रक्षा की थी।
  • किन्तु विष के दुष्प्रभाव से भगवान शिव को बचाने के लिए उन्हें रात्रि जागरण कराना था।
  • तब देवताओं ने चतुर्दशी की रात में चारो प्रहर भगवान शिव को नृत्य व स्तुति कर जगाए रखा था।
  • तथा विष की जलन को शांत करने हेतु गंगाजल, पंचामृत, शहद, आदि से उनका अभिषेक किया था।
  • जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने सभी की मनोकामनाओं को पूर्ण किया। तथा समस्त ऐशवर्य प्रदान किया था। तभी से चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

पूजन सामग्री क्या है ?

  • महाशिवरात्रि में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए निम्न पूजन सामग्री का उपयोग अवश्य करें।
  • शिवजी के सबसे प्रिय पुष्पों में मदार, कनेर, बेलपत्र तथा मौलसिरी हैं किंतु पूजन विधान में बेलपत्र सबसे प्रमुख है।
  • 108 बेलपत्र, भांग, दूध, धतूरा, चंदन, जायफल, कमलगट्टा, फल, मिष्ठान्न आदि अर्पित करें।
  • शिवजी पर पका आम चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है
  • शिवजी अभिषेक से अत्यंत प्रसन्न होते हैं। अतः अभिषेक हेतु गन्ने का रस, भांग मिला दूध, शहद, गंगाजल,पंचामृत।
  • केसरयुक्त खीर, इत्र, पान, व दक्षिणा आदि विभिन्न वस्तुएं भगवान को अर्पित करनी चाहिए।

कैसे करें शिवपूजा ?

  • महाशिवरात्रि में कैसे करें शिवजी को प्रसन्न ! आइए जानते हैं कैसे करें शिवपूजा ।
  • प्रातः काल स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। तत्पश्चात भगवान शिव के समक्ष गंगाजल और फूल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प करें।
  • शिव जी को गंगाजल गन्ने का रस, भांग मिले दूध से, केसर के जल से, पंचामृत से,अलग-अलग अभिषेक कराएं।
  • चंदन का तिलक लगाएं जायफल कमलगट्टे फल मिष्ठान मीठा पान समर्पित करें।
  • इत्र दक्षिणा और केसर युक्त खीर भगवान को चढ़ाए। भगवान शिव को 108 बेलपत्र व धतूरा अवश्य चढ़ाएं।
  • चार प्रहर की चार पूजा करें व मंत्र जाप, शिवस्तुति, तथा शिवपुराण को सुनें व पढें। शिवलिंग के समीप रात भर दीपक जलाएं।

शिवपूजा में क्या काम नही करने चाहिए ?

  • शिवपुराण में कुछ बातों का निषेध किया गया है।आइए जानते हैं कि ऐसे क्या काम हैं जो शिवपूजा में नहीं करना चाहिए।
  • शिवलिंग पर चढ़ाए गए फूल फल तथा जल को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • यदि आप शिवजी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो भूल कर भी यह 5 चीजें शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

हल्दी

  • हल्दी को अत्यंत पवित्र माना गया है। किंतु फिर भी हल्दी कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

कुमकुम

  • कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है, और शिवजी वैरागी हैं। अतः उन्हें कभी भी कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए।

टूटे हुए चावल

  • टूटे हुए चावल अशुभता के द्योतक हैं । हमेशा अक्षत ही अर्थात साबुत चावल ही शिवलिंग पर चढ़ाएं।

तुलसी

  • तुलसी कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती। इसके पीछे एक कथा है।
  • जालंधर को अमरत्व का वरदान मिला था क्योंकि उसकी पत्नी वृंदा बहुत पतिव्रता थी।
  • जिस कारण जालंधर को कोई भी पराजित नहीं कर सकता था।
  • किंतु भगवान विष्णु के द्वारा तुलसी जी की पवित्रता भंग की गई और जालंधर शिव जी के हाथों मारा गया।
  • पति की मौत से नाराज होकर तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया ।
  • इसीलिए शिवजी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।

केतकी के फूल

  • महाशिवरात्रि में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए ध्यान रखें कि केतकी का फूल शिवलिंग पर कभी ना चढ़ाए।
  • कथा इस प्रकार है, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ।
  • तब एक विराट लिंग पैदा हुआ। दोनों ने यह निश्चय किया कि इस लिंग के छोर का जो पहले पता लगाएगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा।
  • दोनों को ही उसका छोर नहीं मिला। किंतु ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से कहा कि उन्हें छोर मिल गया है।
  • जिसका साक्षी उन्होंने केतकी के फूल को बताया। शिव जी यह बात जान गए ।
  • उन्होंने केतकी के फूल को श्राप दिया था। इसी कारण केतकी का फूल भगवान शिव की पूजा में नहीं चढ़ता है।

यह अवश्य करें !

  • महाशिवरात्रि में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का ध्यान एवं पूजन अवश्य करना चाहिए।
  • अपनी श्रद्धा अनुसार मिट्टी के (बालू के) शिवलिंग बनाकर उनका पूजन एवं अभिषेक करना चाहिए।
  • ॐ नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र का निरंतर जप करने से मनुष्य पूर्व जन्म के सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
  • आज के दिन शिव पुराण पढ़ने और सुनने का अनंत गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
  • चतुर्दशी के दिन व्रत करना चाहिए तथा शिवजी के समीप या शिव मंदिर में अखंड दीप जलाना चाहिए।
  • अतः महाशिवरात्रि में शिवजी को करें प्रसन्न और पाएं अखण्ड सौभाग्य।

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शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा,ॐ हर हर हर महादेव….

एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसाशन,गरुड़ासन वृषवाहन साजे। ॐ हर हर हर महादेव….

दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज अति सोहे, तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे, ॐ हर हर हर महादेव…..

अक्षमाला वनमाला मुंडमाला धारी, त्रिपुरारी कंसारी करमाला धारी, ॐ हर हर महादेव….

करके मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धरता जगकर्ता जगहर्ता जग पालन करता, ॐ हर हर हर महादेव……….

श्वेतांबर पीतांबर बाघाम्बर अंगे, सनकादिक प्रभुतादिक भूतादिक सङ्गे, ॐ हर हर हर महादेव……..

ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर के मध्ये, यह तीनों एका, ॐ हर हर हर महादेव……

त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी,

जपत हराहर स्वामी मन वांछित फल पावे ॐ हर हर हर महादेव….


महाशिवरात्रि की कथा क्या है ?

  • एक बार माता पार्वती के द्वारा प्रश्न करने पर शंकर जी ने इस व्रत की मुक्ति दायक महत्ता बताते हुए एक कथा सुनाई थी।
  • कथा इस प्रकार है प्राचीन समय में एक बहेलिया था। वह रोज अनगिनत निरपराध जीवो को मारकर अपने परिवार का पालन पोषण करता था।
  • एक बार वह सेठ का उधार न चुका पाने के कारण शिव मठ में बंदी बना लिया गया।
  • वह दिन फाल्गुन चौथ का था। मंदिर में अनेक धार्मिक कथाएं हो रही थी। उसने वह सब कथाएं सुनी।
  • जिसमें शिवरात्रि की कथा भी थी। सेठ ने उसे 1 दिन की मोहलत दे कर छोड़ दिया।
  • दूसरे दिन चतुर्दशी को वह बहेलिया पहले की तरह वन में शिकार करने गया।

बहेलिया द्वारा शिवरात्रि का व्रत करना !

  • चतुर्दशी के दिन पूरे दिन जंगल में घूमते हुए उससे कोई भी शिकार नहीं मिला।
  • भूख से व्याकुल होकर एक तालाब के किनारे पहुंचा। उस स्थान पर एक बेल का पेड़ था और नीचे शिवलिंग था।
  • बहेलिया उसी वृक्ष की शाखा पर चढ़कर अपना रहने का स्थान बनाने के लिए बेलपत्र को तोड़ने लगा।
  • बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिरने लगे जिससे पूरा शिवलिंग ढक गया।
  • चतुर्दशी के दिन भूखे रहकर बहेलिया द्वारा अनायास ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से व्रत संपन्न हुआ।
  • कुछ रात बीत जाने पर एक हिरनी उधर से निकली। उसे देखते ही बहेलिया ने निशाना लगाया।
  • तभी हिरनी ने बड़ी दीनता से प्रार्थना की कि मेरा प्रसव काल है मुझे मत मारो।

व्रत के प्रभाव से बहेलिए का हृदय परिवर्तन होना।

  • बहेलिया उसकी बातों को मान गया। थोड़ी और रात बीतने पर एक दूसरी हिरणी उस स्थान पर आई।
  • बहेलिया ने फिर से निशाना साधा तब दूसरी हिरणी ने प्रार्थना की कि मुझे मत मारो।
  • मेरे पति मेरी राह देख रहे हैं मुझे उनसे मिल आने दो फिर मुझे मार डालना। बहेलिए ने उसकी प्रार्थना सुन ली।
  • रात्रि के तीसरे प्रहर में एक तीसरी हिरणीअपने दो छोटे छौनों को लेकर जलाशय में पानी पीने आई।
  • बहेलिये ने उसे भी मारना चाहा, किंतु उसने भी बहेलिए से प्रार्थना की और बच्चों का वास्ता दिया।
  • बहेलिया ने उसे भी छोड़ दिया। इस प्रकार तीन पहर बीत गए। चौथे पहर में एक बलवान हिरण जलाशय पर आया।
  • जिसने भी बहेलिए से ना मारने के लिए प्रार्थना की और वह उसने उसे भी छोड़ दिया।

बहेलिये को शिवलोक प्राप्त होना !

  • इस प्रकार शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि के चारों प्रहर में बहेलिए का उपवास हो गया।
  • व्रत के प्रभाव से बहेलिए की बुद्धि परिवर्तित हो गई। और वह पूर्णता अहिंसा वादी बन गया।
  • यह देख स्वर्ग लोक से देवताओं ने बहेलिए की बहुत सराहना की।
  • और भगवान शंकर ने बहेलिये द्वारा किये व्रत से प्रसन्न हो, पुष्पक विमान भेज बहेलिए को शिवलोक प्रदान किया।
  • इस प्रकार महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

बारह ज्योतिर्लिंग कौन से हैं?

  • सौराष्ट्रे सोमनाथं च, श्री शैले मल्लिकार्जुन
  • उज्ज्यिन्याम महाकालम, ओमकारम ममलेश्वरम।
  • परल्यां वैद्यनाथं च, डाकिन्याम भीमशंकरम।
  • सेतुबंधे तु रामेशम, नागेशं दारूका वने।
  • वाराणस्याम तू विश्वेशम, त्रयंबकम गौतमी तटे।
  • हिमालये तू केदारम, धूश्मेशम च शिवालये।
  • एतानि ज्योतिर्लिंगानी सायं प्रातः पठेन्नरः।
  • सप्त जन्म कृतं पापम स्मरणेन विनश्यति।

इस प्रकार महाशिवरात्रि में करें शिवजी को प्रसन्न। उपरोक्त बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम स्मरण मात्र से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

बेलपत्ती का महत्व क्या है?

बेलपत्र भगवान शिव के तीन नेत्र माने जाते हैं। जिनसे वे तीनों लोकों में अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं।

प्रेम सहित भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाने से वे उसे स्वीकार करते हैं। अतः मात्र बेलपत्र से इस महाशिवरात्रि में शिवजी को करें प्रसन्न !

तथा जीवन में सुख शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते हुए निम्न मंत्र बोलना चाहिए

  • नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
  • नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
  • दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
  • त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥
  • अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
  • गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।

महाशिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट होतें है। तथा जीवन मे सुख शांति का वास होता है।

शिव महापुराण

https://youtu.be/xsSjiX394oE

इस व्रत से सम्बन्धित सभी उपयोगी जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

उक्त जानकारियों का लाभ उठाएं और इस महाशिवरात्रि में शिवजी को करें प्रसन्न ।

यह जानकारी अपने मित्रों को भी प्रेषित कर उन्हें भी लाभान्वित करें। ऐसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए देखें-

http://Indiantreasure.in

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10 thoughts on “महाशिवरात्रि में जागरण क्यों करते हैं, भूलकर न चढ़ाएं ये सामग्री, जानिए 2023 पूजा मुहूर्त एवं कथा

  1. बहुत बहुत धन्यवाद मेम…बहुत सुंदर जानकारी देने के लिए..🙏👑✨🌹💝

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