मानसिक शांति के उपाय जानने के लिए उन कारणों को जानना जरूरी है । जिनसे मन की शांति नष्ट होती है।
बीमार मन के इलाज हेतु स्वयं को प्रयास करना होगा। ये आपके भीतर रहने वाला सबसे बड़ा शत्रु या मित्र है।
मन का निवास स्थान शरीर है। अतः पहले शरीर को शुद्ध व शांत करना होगा।
उसके बाद इस शरीर के निवास स्थान को सुव्यवस्थित करना होगा। तभी हम इस मन का इलाज सफलता पूर्वक कर पायेंगे।
इस लेख के माध्यम से निश्चित ही आप मानसिक शांति के इन उपायों से लाभान्वित होंगे।
आइए जानते हैं-
- मानसिक अशांति के कारण।
- मानसिक शांति के उपाय।
1-मानसिक अशान्ति के कारण- Due to disturbance of mind-
- मन की अशांति के दो कारण है।
- एक अंदरूनी, दूसरा बाहरी।
- अंदरूनी जहां मन रहता है अर्थात हमारा शरीर।
- बाहरी जहां हमारा शरीर रहता है। हमारा घर,परिवार, समाज।
- सारी गड़बड़ी इन्ही दो चीजों की विकृति से होती है और हमारा मन अशांत हो जाता है।
- जिस प्रकार किसी बीमार की चिकित्सा की जाती है,उसी प्रकार बीमार मन की सेवा होनी चाहिए।
2- मानसिक शांति के उपाय Mental peace measures
मानसिक शांति के विभिन्न उपाय निम्नानुसार है। जिन्हें अपनाकर आप जीवन मे शांति व सुकून अनुभव करेंगे।
1- पेट साफ रखें Keep the stomach clean
- मन का घर अर्थात शरीर की सफाई पहले करें। शरीर की विकृति की जड़ है पेट।
- कहावत है “जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन!”
- अतः सात्विक भोजन लेना शुरू करें।
- मांसाहार, शराब व किसी भी प्रकार के नशे से पूर्णतः दूर रहें।
- मानसिक शांति के उपायों में सर्वप्रथम सूर्योदय से पहले उठें।
- 2 चम्मच आवंला स्वरस (पतंजलि ) आधा कप गुनगुने पानी से उठते साथ पियें।
- ऊपर से 2 गिलास गुनगुना पानी पी लें।
- इसे प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल कर लें।
2-दिव्य स्नान करें- Take a divine bath-
- ठंड में हल्के गुनगुने (ताजे जल से),व गर्मी में शुद्ध ताजे पानी मे गंगाजल डालकर अच्छी तरह स्नान करें।
- सप्ताह या माह में एक बार घर के आंगन या गार्डन में,खुले स्थान में पानी से लगभग आधा घण्टे तक स्नान करें ।
- यदि नदी पास में हों तो नदी में स्नान अवश्य करें। ऐसा स्नान दिव्य स्नान कहलाता है।
- किंतु स्विमिंग पूल में बिल्कुल न नहाएं।
- स्नान बहते जल में करना चाहिए।
- एकत्रित व स्थिर जल विभिन्न मानसिक व शारीरिक रोगों को जन्म देता है।
- पानी के जितने ज्यादा देर तक सम्पर्क में रहेंगे उतना ही मानसिक तनाव दूर होते जाएंगे।
3- भोजन में सुधार लाएं- Improve food-
- भोजन पकने के 3 घण्टे के अंदर कर लेना चाहिए। भोजन दुबारा गर्म करके नही खाना चाहिए।
- भोजन सादा व सुपाच्य होना चाहिए।
- रात्रि के भोजन व सुबह के भोजन के बीच कम से कम 16 घण्टे का अंतर होना चाहिए।
- रात्रि में सोने के कम से कम 3 घण्टे पहले भोजन कर लेना चाहिए। सोते समय पेट हल्का होना चाहिए।
- सोने के बाद पाचन की क्रिया बन्द हो जाती है। तथा भोजन अनपचा ही पेट मे पड़ा सड़ता रहता है।
- यही सड़ा हुआ अन्न शरीर व मन को विकृत करता है।
- जिससे उदासी दुःख ,क्रोध चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या, द्वेष,आदि उतपन्न होते हैं । और मन अशान्त हो जाता है।
4- गहरी व निश्चिंत निद्रा लें- Take deep and relaxed sleep-
- रात में गहरी नींद सोने के लिए दिन में बिल्कुल न सोएं।
- गहरी नींद वह होती है, जिसमे सोने के बाद सीधे सुबह ही नींद अपने आप खुलती है।
- उठने के बाद मन स्वस्थ व प्रसन्न अनुभव करता है।
- शरीर मे फुर्ती बनी रहती है। ताजगी का अनुभव होता है।
- थकान नही लगती। दुबारा सोने की इच्छा नही होती।
- गहरी नींद के लिए सोने से पूर्व योगनिद्रा का अभ्यास करें।
- मानसिक शांति के उपाय योगनिद्रा के अभ्यास से मन को एकाग्र किया जाता है ।
- उसके बाद सोने से गहरी व निश्चिन्त निद्रा आती है।
अवश्य पढ़ें?योगनिद्रा क्या है? फायदे व क्रियाविधि!
5- ईश्वर की भक्ति अवश्य करें- यह मानसिक शांति देता है। Must do devotion to God-
- ईश्वर की आराधना एक श्रद्धा का विषय है। श्रद्धा मन का विषय है।
- भक्ति मन को निष्कपट, निर्मल व सरल बनाती है।
- क्योंकि जिस परमात्मा को हमने देखा तक नहीं उस पर विश्वास करना, बच्चों की तरह सरल बनाता है।
- अतः भक्ति से मन एकाग्र होता है। दुनियावी छल-कपट, व विभिन्न तनावों से दूर हो जाता है।
- जीवन के सारे दुख व तकलीफें उस परमात्मा को समर्पित कर देने से मन हल्का हो जाता है।
- और मन को शांत करने के लिए मन का हल्का होना परम आवश्यक है।
- अपने सारे कार्यों को भगवान को सौंप देना चाहिए।
6- घर को साफ व व्यवस्थित रखें- Keep the house clean and orderly-
- जिस घर मे आपको अधिकतम समय रहना होता है, उसकी अव्यवस्था निश्चित ही मन को प्रभावित करती है।
- अतः मन को व्यवस्थित करने के लिए घर की सभी चीजें सुव्यवस्थित रखनी चाहिए।
- आपकी चीजें जितनी ज्यादा व्यवस्थित रहेंगी,कार्यों को करते समय उतना ही आपको समय व मेहनत कम लगेगी।
- जिससे कार्य अच्छी तरह व जल्दी होंगे। और मन प्रसन्न रहेगा।
- मन को प्रसन्न करने वाली चीजें अच्छे से सजाकर रखें, जिन्हें देख-सुनकर,उपयोग कर आप प्रसन्न हो सकें।
7- परिवार में मर्यादा व सभ्यता का ख्याल रखें- Take care of dignity and civilization in the family-
- परिवार में सम्मान व मर्यादा का होना बहुत ही जरूरी है।
- यदि आप दूसरों का सम्मान करते हैं तो इसका मतलब है कि आप खुद एक सम्मानित व्यक्ति हैं।
- सम्मानित व्यक्ति का व्यवहार कभी भी अपमानजनक नही होता ।
- क्योंकि उसे अपने सम्माननीय स्थिति का बोध होता है। अतः सम्माननीय बने।
- जिस परिवार में एकदूसरे का सम्मान किया जाता हैं उस परिवार में प्रेम भी पाया जाता है।
- सम्मान व प्रेम एकदूसरे की परछाईं है। जहाँ सम्मान नहीं वहाँ प्रेम नही।जहां प्रेम नही, वहां सम्मान नही हो सकता।
- जिस परिवार के सदस्यों में आपस मे प्रेम होता है, वहाँ मन भी प्रेम में डूबा रहता है। वहाँ अशान्ति आ ही नहीं सकती।
8- मानसिक शांति के लिए क्रोध पर नियंत्रण रखें- Control anger
- आपका क्रोध , आपके कहे वचन दूसरे व्यक्ति को ही नहीं वरन आपको भी आहत करते हैं।
- क्रोध में कभी भी कुछ भी अच्छा नही होता। अतः यदि क्रोध आये तो उस स्थान से तत्काल हट जाएं।
- स्थान बदलते ही परिस्थितियाँ बदल जाती हैं और क्रोध समाप्त हो जाता है।
- अक्सर ऐसा होता है कि हम जिस व्यक्ति के जितना ज्यादा करीब होतें हैं उसे उतना ही दुःख पहुँचाते है।
- ऐसा जानबूझकर नहीं होता, पर होता जरूर है।
- बाहरी लोगों से हमारा व्यवहार बड़ा संतुलित, मर्यादित, व मधुर होता है।
- ये बात अवश्य ध्यान रखें, कहीं आप क्रूरता तो नहीं कर रहे। यही क्रूरता आपकी मानसिक अशान्ति का कारण है।
9- मानसिक शांति हेतु स्वस्थ व बौद्धिक समाज का अनुकरण करें- Imitate a healthy and intellectual society-
- जिन लोगों के बीच हमारा उठना बैठना होता है व जिनसे हमारी दोस्ती है, वही समाज कहलाता है।
- समाज मे दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार, हमारे कर्मचारी होते हैं।
- हमारा फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम अकाउंट, सोशल वर्ल्ड सभी हमारा समाज है।
- समाज मे सभी तरह के लोग पाए जातें हैं।
- किंतु हमारा चुनाव हमेशा स्वस्थ व उत्तम बौद्धिक स्तर के लोगों के साथ होना चाहिए।
- बौद्धिक स्तर दो तरह का होता है-1 मानसिक व 2- दिमागी।
- हमेशा मानसिक बौद्धिक स्तर का चुनाव करें। कहा गया है-
- संगत ही गुण होत है, संगत ही गुण जाय। बांस, फांस और मिसरी एक ही भाव बिकाय।।
मानसिक शांति के उपाय हेतु व नियमित योग का अभ्यास करें । लिंक देखें।
10- सकारात्मक दृष्टिकोण अपनायें व पाएं मानसिक शांति- adopt a positive attitude
- हमेशा सकारात्मक लोगों के साथ रहें ताकि सकारात्मक विचार निरन्तर हमारे इर्द गिर्द मंडराते रहें ।
- हमेशा सकारात्मक देखें, सकारात्मक बोलें, सकारात्मक सुनें ,सकारात्मक सोचें, सकारात्मक कार्य करें।
- ऐसा करने से मन हमेशा शांत और स्वस्थ व प्रसन्न रहेगा।
- अतः थोड़ी सी भी नकारात्मकता अपने आस पास देखें तो तत्काल स्थान बदल दें।
- यह बिल्कुल भी न सोचें कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि आपका जीवन आपका है।
11-मानसिक शांति हेतु हमेशा व्यस्तता बनाये रखें- Always keep busy
- कहावत है खाली दिमाग शैतान का घर।
- अतः दिमाग को किसी न किसी सकारात्मक कार्य मे हमेशा उलझाए रखें।
- मन को अपना नोकर बनाकर उससे काम लें। मन के नोकर न बनें।
- मन को नियंत्रित कैसे करें जानने के लिए ?
अवश्य पढ़ें? मन के नियंत्रण के 10 सीक्रेट
मानसिक शांति के उपाय व बताए गए कारण से सम्बंधित जानकारी आपको अवश्य काम आएगी।
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नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
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