मकर संक्रांति कैसे मनाएं, इसका महत्व, दान व पूजा विधि जानने के लिए अवश्य पढ़ें। दिन गुरुवार, 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करेंगे।
वर्ष में छह-छह माह के दो अयन पड़ते हैं जिन्हें क्रमश: दक्षिणायन और उत्तरायण कहा जाता है।
उत्तरायण का विशेष महत्व बताया गया है। भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु को दक्षिणायन में रोक कर रखा था ।
तथा सूर्य के उत्तरायण होने पर उन्होंने प्राण त्यागे थे।ऐसा माना जाता है कि उत्तरायण में मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्तरायण के लगते ही सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। उत्तरायण के प्रथम दिन को ही विशेष उत्साह में मनाते हैं।
मकरसंक्रांति, पोंगल, पतंगोत्सव के सम्बंध में कुछ अति महत्वपूर्ण व रोचक तथ्य हैं।
1- खिचड़ी का महत्व! Importance of khichadi!
- एक कथा है की अलाउद्दीन खिलजी ने जब आक्रमण किया तो योगियों ने इसका मुकाबला किया ।
- किंतु लड़ाई में वे इतना थक जाते थे कि भूखे ही सो जाया करते थे।
- तब गोरखनाथ जी ने दाल चावल और सभी सब्जियों को मिलाकर एक भोजन तैयार किया।
- जिसे पाकर सभी पूर्ण संतुष्ट और प्रसन्न हुए। और इस प्रकार युद्ध में जीत हासिल की। व विजयपर्व मनाया था।
- इसीलिए आज के दिन गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ जी के मंदिर में खिचड़ी का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते है।
2-खिचड़ी का उपयोग! Use of polenta ( khichadi)!
- खिचड़ी का मंदिर में दान किया जाकर, खिचड़ी को प्रसाद रूप में खाकर, खिचड़ी का दान कर,
- समस्त ग्रहों की शांति व कृपा प्राप्त की जा सकती है।
- ऐसा माना जाता है कि जल और चावल चंद्रमा के द्योतक हैं, एवं उड़द की दाल शनि देवता की, हल्दी बृहस्पति की,
- हरी सब्जियां बुद्धदेव की एवं घी सूर्य से संबंधित है तथा शुक्र और मंगल ग्रह से भी संबंधित होते हैं।
- अतः खिचड़ी के दान और भोजन से समस्त ग्रहों की शांति की जाकर जीवन में सुख शांति प्राप्त की जा सकती है। (मकर संक्रांति कैसे मनाएं)
2- तिल का महत्व ! Importance of til
- तिल को पांच प्रकार से उपयोग किया जा कर शनि व सूर्य की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।
- पहला स्नान के जल में तिल को डालकर, दूसरा तिल का उबटन लगाकर स्नान किया जाए।
- तीसरा तिल के तेल से मालिश की जाकर, चौथा तिल के लड्डू खाकर, पांचवा तिल का दान करके।
- इस प्रकार तिल के प्रयोग से सूर्य पुत्र शनि को प्रसन्न किया जा सकता है।
- तिल और गुड़ का संयोग सूर्य और शनि के संयोग के रूप में माना जाता है।
3- क्या करें ! What to do !
- आज के दिन पांच प्रकार से तिल का उपयोग करते हुए दान करें। स्नान के जल में गंगाजल अवश्य डालें।
- स्नान के पश्चात सूर्य देवता को लाल पुष्प सिंदूर एवं तिल डालकर जल से अर्घ्य दें।
- आज के दिन जो भी घर में आए बुजुर्ग बच्चे साधु भिखारी या कोई भी उसे कुछ ना कुछ दान अवश्य करें ।
- खिचड़ी का दान करें,भगवान को भोग लगाकर (खिचड़ी) ग्रहण करें।सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा पाठ करें।
- सूर्य की विशेष कृपा पाने के लिए शाम को अन्न ग्रहण ना करें। अर्थात शाम को व्रत करें। व ब्रम्हचर्य का पालन करें। (मकर संक्रांति कैसे मनाएं )
अवश्य पढ़ें? कलियुग में दान कैसे करें?
4- क्या ना करें ! What not to do!
- आज के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।
- मांस, लहसुन, प्याज इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। मदिरापान ना करें।
- किसी को भी अपशब्द ना कहें क्योंकि आज शनि देवता की विशेष प्रसन्नता के लिए हम सभी कुछ करते हैं।
- और शनि न्याय के देवता है,अतः विशेष सावधानी रखते हुए किसी से भी अपशब्द का प्रयोग ना करें।
- किसी से लड़ाई झगड़ा मारपीट ना करें। कभी भी लोहे, स्टील, प्लास्टिक के पात्र से सूर्यदेव को जलअर्पण न करें।
5- क्या दान करना चाहिए ! What should be donated!
- आज का दिन सूर्य देवता और शनि देवता की प्रसन्नता के लिए होता है।
- अतः सूर्य एवं शनि से संबंधित वस्तुओं का दान और उसका उपयोग करना श्रेष्ठ होता है।
- अतः कंबल, तिल, तथा तांबे के बर्तन, लाल वस्त्र, गेहूं, लाल चीजें आदि ।
- इसके अलावा किसी भी गरीब को बर्तन सहित तिल का दान करना भी उत्तम माना जाता है ।
- कुछ लोग आज के दिन मंदिरों में 14 चीजों का दान करते हैं।
इस प्रकार विधिवत मकर संक्रांति कैसे मनाएं, दान पूजा से भगवान सूर्य की उपासना कर जीवन मे समृद्धि लाएं।
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