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ब्रम्हमुहूर्त से निखारें बच्चों का भविष्य

 जीवन मे दिनचर्या का बड़ा महत्व है। एक निश्चित जीवन शैली को ही दिनचर्या कहते हैं। यही निश्चितता हमे अपने लक्ष्य तक पहुचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

        यूँ तो दिन की शुरुआत ब्रम्हमुहूर्त से होती है, जो 3.30 से प्रारम्भ होता है। इस ब्रम्हमुहूर्त का ऐसा प्रभाव है जैसे सूर्य के समक्ष उपस्थित होने मात्र से सूर्य से होने वाले लाभ प्राप्त हो जाते हैं उसी तरह ब्रम्हमुहूर्त में उठने मात्र से बहुत से लाभ अपने आप हो जाते हैं। जिसे कुछ भी उन्नति करनी है ,अपनी कुंडली के दोष मिटाने है उसे ब्रम्हमुहूर्त का वरण करना ही चाहिए।   

     ब्रम्हमुहूर्त में परमपिता परमेश्वर पूरी सत्ता में विभिन्न शक्तियों का वितरण औऱ विभाजन करते हैं वे शक्तियां प्रत्येक जाग्रत मनुष्य को ढूंढ कर स्वयं उसमे समाहित हो जाती हैं। आपने यह देखा भी होगा कि जितने भी श्रेष्ठ मानव हुए हैं या जिन्होंने  विशेष श्रेष्ठता अर्जित की है उनका ब्रम्हमुहूर्त से रिश्ता जरूर रहा है।

               ब्रम्हमहूर्त हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है किंतु बदलती जीवनशैली में ये कहीं खो सा गया है ओर इसी कारण नकारात्मक शक्तियां बलवान होने लगी है, देश मे बेरोजगारी, भुखमरी, अराजकता, असहिष्णुता ,फैल रही है क्योंकि हम उस ब्रम्हमुहूर्त की सकारात्मक शक्तियों से वंचित हो गए है। चूंकि श्रेष्ठता औऱ सफलता का कोई विकल्प नही होता । उसी तरह ब्रम्हमुहूर्त का कोई विकल्प नही है, जो जागेगा सो पायेगा, जो सोएगा वो खोएगा।अतःदेशहित में स्वयं जागकर हमे सभीको जगाना है यही सच्ची समाजसेवा ओर देश सेवा होगी।

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