नमस्कार दोस्तों ! बेल वृक्ष का महत्व हमारे शास्त्रों में बेल का वृक्ष बहुत अधिक पूजनीय माना जाता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है। जैसे तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है उसी तरह बिल्कुल लक्ष्मी माता पार्वती का वास माना गया है।
यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। तथा इसकी पूजा का विधान भी बताया गया है। बिल्वपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी होती है। श्रावण मास में शिव की पूजा में बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है। बेल के पेड़ का बहुत महत्व है। आज हम आपको बेल वृक्ष महत्व संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। इस से अंत तक अवश्य पढ़ें।
बेल वृक्ष का महत्व बताइए!
बेल वृक्ष का महत्व बताते हुए हमारे शास्त्र कहते हैं;
मूलतो ब्रह्म रूपाय, मध्यतो विष्णु रूपिणे।
अग्रत: शिवरूपाय, बिल्व वृक्षाय नमो नमः।।
अर्थात बिल्व वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी का निवास होता है और इसकी मध्य में भगवान विष्णु निवास करते हैं ।
तथा इसके शिखर पर भगवान शिव विराजते हैं। ऐसे बिल्व वृक्ष को बारंबार नमस्कार है।
बेल के पेड़ को घर में लगाने का महत्व !
शास्त्रों में कहा गया है कि बेल के पेड़ को घर में लगाने का बहुत महत्व होता है।
यह अत्यंत शुभ फलकारी होता है। इसके दर्शन मात्र से तीर्थों के दर्शन करने का फल प्राप्त होता है ।
तथा बिल्व वृक्ष के स्पर्श करने से भगवान शिव का स्पर्श करना माना जाता है।
बिल्व वृक्ष की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं ।
अतः शिव की प्रसन्नता ही समस्त दुखों का नाश करने वाली होती है।
इसीलिए बेल के पेड़ को घर में लगाने का बहुत महत्व है। इसे पश्चिम-उत्तर दिशा अर्थात वायव्य दिशा या
उत्तर दिशा में लगाना अत्यंत ही शुभ फल देता है। अतः घर में बेल का वृक्ष अवश्य लगाएं ।
बेल वृक्ष लाभ व महत्व !
यह बहुत ही फलदाई होता है। बेल वृक्ष का महत्व इससे होने वाले चमत्कार व अनिष्ट निवारण से जाना जाता है।
बेल वृक्ष की छाया में बैठकर इसकी पूजा की जानी चाहिए। यह पूजा अष्टमी, चतुर्दशी, प्रदोष, श्रावण माह, माघ माह
सोमवार या कभी भी की जा सकती है। इसमें पूजा का कोई निषेध नहीं बताया गया है ।
इसकी पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। यह घर में किसी भी प्रकार का क्लेश होने से या
बच्चों के विद्या प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होने तथा बरकत ना होने, कार्यों में विघ्न आने आदि,
दांपत्य जीवन, संतान प्राप्ति सभी में संपूर्ण सुख प्रदान करता है।
इसकी जड़ में विभिन्न प्रयोगों से लाभ प्राप्त किए जाते हैं।
किंतु ऐसा माना जाता है कि बिल्वपत्र में मात्र एक लोटा जल रोज चढ़ाने वाले की सारे पाप और ताप मिट जाते हैं।
तथा इसकी जड़ की मिट्टी को जो मस्तक में लगाता है उसके सारे अमंगल दूर हो जाते हैं।
ऐसे में यह बिल्वपत्र अपने आप में ही सब कुछ प्रदान करने वाला होता है।
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बेल पत्र को कब नहीं तोड़ना चाहिए!
कभी भी बेलपत्र तोड़ते समय इसे टहनी सहित नहीं तोड़ना चाहिए ।
बेलपत्र को एक एक पत्ता ओम नमः शिवाय कहते हुए तोड़ना चाहिए।
तथा अमावस्या,अष्टमी, चतुर्दशी और सोमवार तथा संक्रांति के दिन कभी भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
इस दिन भगवान को बेलपत्र चढ़ाने के लिए उन पर चढ़े हुए बेलपत्र को ही दोबारा चढ़ाया जा सकता है। बे
बेलपत्र की यह विशेषता है कि यह 6 माह तक बासी नहीं होते ।
बेल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए तथा उसकी जड़ में दूध में काले तिल मिलाकर चढ़ाना चाहिए।
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नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com