बसन्त पंचमी: 2021 Basant Panchami: 2021 Total Post View :- 1268

बसंत पंचमी Basant Panchami

 

 

बसंत पंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। वास्तव में यह त्योहार ऋतुराज बसंत के आगमन की सूचना देता है। 

आज के दिन से ही पारंपरिक होरी तथा धमार के गीत सुनाई देने लगते हैं। खेतों में गेहूं तथा जौ की स्वर्णिम बालियां लहलहा उठती है। पेड़ों में नए-नए फूल और पत्तियां खिल उठती हैं। ऐसा लगता है मानो प्रकृति स्वयं इस उत्सव को मनाने के लिए लालायित हो रही है।

बसंत के आने की सूचना देता यह पर्व बड़ा उत्साहित करने वाला होता है। यही दिन मां सरस्वती के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि यह बसंत ऋतु में पंचमी तिथि में पड़ता है अतः इसे वसंत पंचमी कहते हैं।

इस लेख में आप पाएंगे-

  • माता सरस्वती का जन्म कैसे हुआ।
  • देवी का स्वरूप व 12 नाम।
  • वसंत पंचमी एक अबूझ मुहूर्त।
  • पूजा-सामग्री व पूजन विधि।
  • मां सरस्वती जी की वंदना।
  • मां सरस्वती जी की आरती
  • क्या करें।
  • क्या ना करें।

देवी सरस्वती का जन्म Birth of Goddess Saraswati

  • एक बार भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। अतिसुंदर सृष्टि में सबकुछ अच्छा होते हुए भी बहुत सुनसान था।
  • चारों ओर निर्जनता और शून्यता ही दिखाई देती थी। उदासी के वातावरण से सारी प्रकृति मूक हो गई थी।
  • तब ब्रह्माजी ने इस उदासी को दूर करने हेतु अपने कमंडल से जल छिड़का। उन जल बिंदु के पड़ते ही वृक्षों से एक शक्ति उत्पन्न हुई।
  • जो दोनों हाथों में वीणा बजा रही थी । वह दो हाथों में पुस्तक और माला धारण किए हुए थी। सुंदरता की प्रतिमूर्ति थीं।
  • अदभुत! अकल्पनीय! लगा कि अभी ही सारी प्रकृति बोल उठेगी। ब्रह्माजी ने प्रसन्न हो देवी से वीणा बजाकर संसार की उदासी दूर करने कहा।
  • जैसे ही उस देवी ने वीणा के तारों को छेड़ा वैसे ही प्रकृति झंकृत हो उठी। पक्षी चहचहाने लगे। लताएं और वृक्ष सरसराहट की ध्वनि करने लगे।
  • भौरे गुंजन करने लगे । नदियों का कोलाहल फूट पड़ा। सहसा ही प्रकृति नृत्य करने लगी।
  • फिर देवी ने वीणा की मधुर नाद से सभी जीवो को वाणी प्रदान की ।  और संसार मुखर हो उठा।
  • इसीलिए देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या बुद्धि को देने वाली है। इन्हीं से स्वर और संगीत की उत्पत्ति हुई।

देवी का स्वरूप Goddess form

  • देवी सरस्वती की उत्पत्ति माघ मास शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को हुई । उनका स्वरूप अत्यंत कोमल और सुंदर है।
  • श्वेत वस्त्रों को धारण करती हैं और मोती आभूषण है। तथा श्वेत कमल पुष्प पर विराजमान है।
  • चतुर्भुजी देवी जगती के दो हाथों में वीणा एक में पुस्तक एक में माला सुशोभित है । वाद्ययंत्र वीणा है ।
  • बोलने लिखने और शब्द की उत्पत्ति उन्हीं से होती है। वे संगीत की कला प्रदान करने वाली है।
  • विद्या बुद्धि और संगीत प्राप्ति हेतु मां ब्रम्हचारिणी की उपासना करनी चाहिए। माँ सरस्वती के 12 नाम अत्यंत शुभ फलदाई हैं।
  • इन नामों के स्मरण मात्र से मनुष्य जीवन में सफलताएं प्राप्त कर सकता है।वे बारह नाम हैं-
  • भारती सरस्वती शारदा हंसवाहिनी जगती वागीश्वरी कुमुदी ब्रह्मचारिणी बुद्धिदात्री वरदायिनी चंद्रकांति भुवनेश्वरी।

बसंत पंचमी एक अबूझ मुहूर्त है। Basant Panchami is an Abuja Muhurta.

  • शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी: 2023 एक अबूझ मुहूर्त है। इसमें किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होती ।
  • अन्नप्राशन, गृहप्रवेश व अक्षर आरंभ जैसे कार्य आज किए जाते हैं। 
  • महाराष्ट्र उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करते हैं।
  • ऐसा कथानक है कि देवी पार्वती पर प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें वरदान दिया था । जिससे वह नील सरस्वती के रूप में स्थापित हुई।
  • राजस्थान में चमेली की माला पहनने का विशेष महत्व माना जाता है।
  • ऋतुराज बसंत का उत्सव अत्यंत मनमोहक  होता है। यह दाम्पत्य प्रेम को बढ़ाने वाला माना जाता है।
  • महाराष्ट्र में नवविवाहित दंपत्ति अपनी पहली वसंत पूजा पीले वस्त्र पहनकर करते हैं। 
  • प्रत्येक नवविवाहित जोड़े को मंदिर में जाना अनिवार्य होता है।
  • पंजाब में बसंत पंचमी को पीली पगड़ी पीली पोशाक पहनते हैं। तथा पतंगबाजी करके अत्यंत उत्साह से इसे मनाया जाता है ।

अवश्य पढ़ें ?

पूजा सामग्री व पूजनविधि Worship material and poojanvidhi

  • गौरतलब है कि वसंतऋतु स्वयं मां शारदा का श्रृंगार करती प्रतीत होती है । अतः पूजा सामग्री प्राकृतिक रंगों से ओतप्रोत होनी चाहिए।
  •  पीले फूल, आम के बौर, नए गेहूं जौ की बालियां, चमेली के फूल चढ़ाएं। सिंदूर व श्रृंगार की सामग्री, गुलाल, सफेद मिठाई सफेद वस्तुएं शामिल करें।
  • प्रातः काल स्नान के पश्चात माता कुमुदि की पूजन करें। उन्हें पीले फूल से श्रंगार कर सफेद मिठाई चढ़ाएं।
  • पीले वस्त्र चढ़ाएं तथा मोती के आभूषण पहनाऐं। उसके बाद आरती, प्रार्थना और वंदना करें।
  • माता के शुभ फलदाई 12 नामों का स्मरण करें। इसके अतिरिक्त ॐ ऐं नमः मंत्र का 108 बार जप करें।
  •  बसंत पंचमी: को इस मंत्र के जप से समस्त सिद्धि प्राप्त होती है।
  • सरस्वती स्त्रोत को पढ़ने से वाणी के समस्त दोष दूर होते हैं। और स्वर की देवी भुवनेश्वरी प्रसन्न होती हैं।
  • यह स्त्रोत निम्नानुसार है-

सरस्वतीं शारदां च कौमारीं ब्रम्हचारिणीम,

वागीश्वरी बुद्धिदात्री भारतीं भुवनेश्वरीम।

चन्द्रघंटा मरालस्था जगन्मातरमुत्तमाम

वरदायिनी सदा वन्दे चतुर्वर्गफलप्रदाम।

द्वादशैतानि नामानि सततं ध्यानसंयुत:

यः पठेत तस्य जिव्ह्याग्रे नूनं वसति शारदा।

 

 

सरस्वती वंदना Sarswati Vandana

या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रा वृता या वीणा वर दण्ड मण्डित करा या श्वेत पद्मासना॥

या ब्रह्मा च्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदा वन्दिता सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्म विचार सार परमाम् आद्यां जगद् व्यापिनिम।
वीणा-पुस्तक-धारिणीम भयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिक मालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धि प्रदाम् शारदाम्॥2॥

 उपासना मंत्र
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे काम रूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धि र्भवतु में सदा।

 आरती (बसंत पंचमी)

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता। सद्गुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ।। ।।ओम जय सरस्वती माता।।

चंद्रबदनी पद्मासिनी द्युति मंगलकारी ।सोहे शुभ हंस सवारी अतुल तेज धारी।।  ।।ओम जय सरस्वती माता।।

 बाएं कर में वीणा, दाएं करमाला ।शीशमुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला। ।। ॐ जय सरस्वती माता।।

देवी शरण जो आये, उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया।।    ।।ॐ जय सरस्वती माता।।

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।      मोह अज्ञान तिमिर का,जग से नाश करो।।  ।। ओम जय सरस्वती माता।।

धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो।  ज्ञान चक्षु दे माता, जग निस्तार करो ।।     ।।ॐ जय सरस्वती माता ।।

मां सरस्वती की आरती, जो कोई नर गावे। हितकारी सुख कारी, ज्ञान भक्ति पावे ।।     ।।ॐ जय सरस्वती माता ।।                 

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्गुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ।।ॐ जय सरस्वती माता।।

 यह अवश्य करें। Must Do it.

                     बसंत पंचमी
  •  इस मुहूर्त पर बच्चे का विद्यारंभ संस्कार करने से बालक अति बुद्धिमान होता है।
  • इसलिए माताएं बच्चों को पाटी-कलम की पूजा करके अक्षर का अभ्यास करवाती है।
  • संगीत की देवी मां वरदायिनी की पूजन के साथ वाद्ययंत्र की पूजा करनी चाहिए।
  • सरस्वती का परम प्रिय वाद्य वीणा जिस घर में रहता है, वहां  हंसवाहिनी स्वयं विराजती हैं।
  •  माता को पीले वस्त्र पहना कर श्रृंगार सामग्री अर्पण करें। परिवार के प्रत्येक सदस्य माता को गुलाल लगाएं। 
  • श्वेत एवं पीले पुष्पों से स्वागत कर चरण स्पर्श करें। नित्यप्रति मां का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति विद्या,बुद्धि, धनसंपदा से परिपूर्ण होता है।
  • यह अवश्य ध्यान दें, किसी कन्या को सफेद मिठाई अवश्य खिलाऐं।
  •  बसन्तपंचमी को पीले वस्त्र जरूर पहने। इससे माता सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
  • भूल कर भी आज रंग बिरंगे कपड़े ना पहने। पीला रंग ही पहने।
  • क्योंकि बसंती आभा से मन प्रफुल्लित होता है। साथ ही पीला रंग आध्यात्मिक शक्ति को प्रबल करता है।
  •  कलम-दवात, पेन-पेंसिल, पुस्तक-कॉपी आदि की पूजा भी अवश्य करें ।
  • माता सरस्वती की कृपा पाने हेतु सहस्त्र नाम स्तोत्र का पाठ करें।
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  • https://www.bhaktibharat.com/mantra/maha-sarasvati-sahastra-stotra

 यह ना करें Don’t do it 

  • हालांकि सभी जानते हैं की बसंत का यह पर्व सरस्वती का प्राकट्य दिवस है। जो विद्या की देवी हैं।
  • शब्दों की जन्म दात्री और सुरों की साम्राज्ञी है। जिसका प्रभाव चारों ओर व्याप्त होता है।
  • जिन्होंने समस्त सृष्टि को शब्द दिए, वाणी दी। ऐसे में भूल कर भी वाणी का दुरुपयोग ना करें।
  • कोशिश करें कुछ समय मौन व्रत अवश्य करें। किसी को अपशब्द ना कहें। अपने शब्दों और वाणी से किसी को आहत ना करें।
  • अन्यथा माता चन्द्रघंटा कुपित होकर विद्या-बुद्धि  हरण भी कर सकती हैं। मांस मदिरा का सेवन ना करें।
  • हो सके तो सरस्वती जी की प्रसन्नता हेतु व्रत भी करना चाहिए।
  • दिन में बिल्कुल ना सोए। किसी भी देवी देवता का अपमान ना करें ।
  • बुजुर्गों का अपमान ना करें ।उनका सम्मान करते हुए उन्हें पीले रंग की मिठाईखिलाएं।

 

सारांश Summary

माँ सरस्वती की पूजा में आवश्यक जानकारियां इस लेख में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इससे आपको बहुत मदद मिलेगी। 

अंत में, बसंत का यह उत्सव प्रेम और आध्यात्म का अत्यंत ही अनोखा संगम है। कहीं कामदेव और रति भूमंडल पर अपना प्रेम बिखेर रहे होते हैं।

 कहीं माता कौमारीं अपनी वीणा की झंकार से मधुर रागों को उड़ेल रही होती है। प्रकृति अपने अप्रतिम रंगों से प्रेम के फूल खिला रही हैं ।

 रागों की देवी वागीश्वरी मधुर रागों को छेड़ हृदय के तारों को झंकृत कर रही हैं। बसंती आभा लिए बसंत उत्सव समस्त सृष्टि को पुलकित कर देता है।

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7 thoughts on “बसंत पंचमी Basant Panchami

  1. जय माँ सरस्वती ? बहुत शानदार लेख, कल इसी के अनुसार पूजा संपन्न की जायेगी. धन्यवाद?

  2. बहुत बहुत धन्यवाद मेम…बहुत सराहनीय कार्य कर रही हैं आप…??✨?

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