नमस्कार दोस्तों ! चर्म रोग होने का कारण और उसका आसान निवारण आयुर्वेद में उपलब्ध है। चर्म रोग असंख्य तरह के होते हैं तथा यह अलग-अलग कारणों से होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की तासीर भी अलग होती है। इस कारण रोगों की उत्पत्ति के कारण भी भिन्न-भिन्न हुआ करते हैं।
किसी भी चर्म रोग में सबसे पहले एसिडिटी या पेट का खराब होना मुख्य कारण होता है । आज हम आपको चर्म रोग होने के कारण और उसका स्थाई निवारण के बारे में समस्त जानकारी देंगे। यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है अतः इसे ध्यान पूर्वक अंत तक अवश्य पढ़ें।
चर्म रोग होने का क्या कारण है?
- आयुर्वेद के अनुसार 18 तरह के चर्म रोग होते हैं किंतु इनकी संख्या होती है।
- विभिन्न कारणों से होते हैं जिनमें की प्रमुख कारण है
1- चर्म रोग होने का जन्मजात कारण –
- इसमें बच्चे के जन्म के समय से ही उसे लाल धब्बे आदि रैशेज शरीर में दिखाई देते हैं ।
- जो कि तीन-चार माह में स्वत: ही समाप्त भी हो जाते हैं।
- इसके अलावा किसी किसी की त्वचा बाल और आंखों का स्वच्छ मंडल सफेद रंग का होता है ।
- यह वंशानुगत होता है। इसमें सूर्य की किरणें और धूप बहुत ज्यादा नुकसान करती है ।
- अतः ऐसे लोगों को हमेशा धूप का चश्मा लगाकर और दूध स बच कर रहना होता है।
2- चर्म रोग होने का भौतिक व रसायनिक कारण-
- भौतिक कारणों में शीत, गर्मी आदि त्वचा को प्रभावित करती हैं ।
- और बाहरी वातावरण के संपर्क में आने से संक्रमण आदि से चर्म रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
- साबुन शैंपू व अन्य रासायनिक वस्तुओं के उपयोग से तथा बारिश के पानी में भीगने या
- सामान्यतः अधिक गीले होने से भी त्वचा में रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
- ऐसे में पौष्टिक भोजन करना और शीत से बचने का प्रयास करना चाहिए।
3- त्वचा पर रहने वाले जीवाणु स्वच्छता और बाहरी संसर्ग के कारण !
- स्वच्छता का अभाव भी चर्म रोगों को आमंत्रित करता है।
- रोज स्नान नहीं करना तथा शरीर को अच्छे से नही पोंछना
- तथा शरीर के अंगों की अच्छी तरह सफाई नहीं रखने से
- और नमी बने रहने पर जीवाणुओं को रहने का स्थान मिलता है।
- ऐसी स्थिति में यह त्वचा पर बने रहते हैं और फोड़ा फुंसी के रूप में त्वचा पर उत्पन्न हो जाते हैं।
- कुत्ता, बिल्ली, गाय आदि पशुओं के संपर्क में रहने से भी कीटाणुओं का संक्रमण होता है।
- और दाद, खाज, खुजली जैसे संक्रमण त्वचा पर हो जाते हैं।
- पसीना कम निकलना भी चर्म रोग का कारण बन जाता है।
चर्म रोग होने का लक्षण क्या है?
- चर्म रोग होने पर त्वचा में सूजन, घमौरियां, दाद, खाज, सफेद दाग, कुष्ठ रोग आदि उत्पन्न होते हैं ।
- मुहासे, फोड़ा- फुंसी भी चर्म रोग का ही रूप है।
- बालों का झड़ना टूटना आदि भी चर्म रोग के कारण होता है।
चर्म रोग की आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या है ?
- आयुर्वेद में चर्म रोग चिकित्सा के लिए कषाय रस का प्रयोग उत्तम बताया गया है।
- गिलोय – चर्म रोगों की सर्वप्रथम दवा गिलोय है । इसे रस, काढ़ा या पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है।
- चर्म रोग की उत्पत्ति पेट के खराब होने से होती है अतः यह कड़वा रस पेट से संबंधित सभी कफ और पित्त जनित
- रोगों को शांत करता है और आमाशय को क्लीन करता है।
- शरीर में पानी इकट्ठा होना या किसी तरह का भी संक्रमण हो उसे यह कसाय रस ठीक करता है।
- यह एक टॉनिक की तरह धातुओं को भी नरिश करता है।
- आयुर्वेद में सभी तरह के चर्म रोगों में इसकी उपयोगिता मानी गई है ।
- दूसरा है सोंठ या जिंजर – अदरक का सूखा हुआ रूप सूट होता है यह बात और कफ को कम करती है ।
- तथा अग्नि को बढ़ाती है। इसे विश्वभैषज कहा गया है।
- अर्थात दुनिया के सभी बीमारियों को ठीक करने में यह सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
- गाय का घी – देसी गाय का घी सर्वश्रेष्ठ होता है । यह किसी भी औषधि के साथ मिलकर
- उसकी ताकत को बढ़ा देता है और अंदर से शरीर को नरिश मेंट देता है ।
- वात और पित्त में घी बहुत ही फायदा करता है। सभी चर्म रोगों में इसका बहुत उपयोग किया जाता है।
चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा लेने का तरीका!
- आयुर्वेद में दवा लेने का समय और तरीका बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
- उपरोक्त तीनों चीजों को मिलाकर चर्म रोग के लिए आयुर्वेद की बेहतरीन दवा तैयार की जाती है।
- जिसमें गिलोय एक चम्मच + सोंठ एक चौथाई चम्मच + एक चम्मच घी , मिक्स कर लें।
- इसे सुबह या दोपहर के खाने के बाद खाना चाहिए।
- भोजन के बाद खाने का औचित्य यह होता है कि इस समय हमारे शरीर में व्यान वायु कार्य करती है।
- और व्यान वायु शरीर के सभी अंगों में घूमती है। ऐसे समय जो भी दवाई हम खाते हैं वह शरीर में तेजी से काम करती है।
- इसे हल्के गुनगुने पानी से लेने से सभी तरह के चर्म रोग दूर होने लगते हैं।
नोट –
हमारे उद्देश्य आपको स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना है तथा अपने शरीर में होने वाले रोगों की जानकारी देना है। किसी भी प्रकार के रोग और विकृति आने पर चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
चर्म रोग होने के क्या कारण है से संबंधित जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने मित्रों और परिजनों को भी अवश्य शेयर करें। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
अन्य पोस्ट भी अवश्य पढ़ें !
हेल्दी जीवन की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए !
कैसे करें स्नान ? जानिए स्नान के प्रकार व फायदे!
वात दोष के क्या कारण हैं : जानिए वात दोष में क्या खाना चाहिए !
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com