घड़ी और वास्तु शास्त्र ! कहीं आपकी घड़ी गलत दिशा में तो नहीं है! Total Post View :- 1322

घड़ी और वास्तु शास्त्र ! कहीं आपकी घड़ी गलत दिशा में तो नहीं है!

आज हम जानेंगे घड़ी और वास्तु शास्त्र के बारे में । जी हां ! घर में रहने वाली हर एक वस्तु दो तरह की ऊर्जा अपने साथ लिए रहती है । यह ऊर्जा सकारात्मक भी होती है और नकारात्मक भी । उसी का विज्ञान वास्तु शास्त्र कहलाता है।

यदि वस्तु को सही दिशा में रखें तो यह जीवन में उन्नति के अनेक अवसर हमें उपलब्ध कराती हैं। आज हम जानेंगे घड़ी के वास्तु शास्त्र के बारे में ।

घड़ी वह यंत्र है जो हमें समय की पहचान कराती है और समय के साथ चलना भी सिखाती है। मशहूर शायर हफ़िज़ जौनपुरी कहते हैं ;

” गया जो हाथ से वह वक्त फिर नहीं आता

कहां उम्मीद कि फिर दिन फिरें हमारे अब “

आज इसी वक्त को घड़ी के माध्यम से सही दिशा में रखते हुए जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते बनाते हैं। कुछ छोटी-छोटी बातें बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे प्रत्येक वस्तु का एक स्थान होता है उस स्थान में दिशाओं के साथ तालमेल करके वे अपने अंदर उर्जा को एक्टिवेट करती है। जानते हैं घड़ी की सही दिशा क्या होनी चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घड़ी किस दिशा में होनी चाहिए !

  • सबसे पहले यह जान लें कि 3 बहुत ही पवित्र और सकारात्मक दिशाएं मानी गई हैं ।
  • पहला नॉर्थ ईस्ट (उत्तर-पूर्व या ईशान कोण ), दूसरा नॉर्थ ( उत्तर ), तीसरा ईस्ट ( पूर्व )।
  • उत्तर-पूर्व के देवता सूर्य है जो रोशनी, ऊर्जा और जीवनी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • यह दिशा ज्ञान-बुद्धि, यश-कीर्ति, समृद्धि-संपन्नता, प्रेम, समाज में सम्मान सभी कुछ प्रदान करती है।
  • दूसरी पूर्व दिशा है जिसके देवता देवराज इंद्र माने गए हैं।
  • यह दिशा पद-प्रतिष्ठा, परीक्षाओं में सफलता, जॉब और कैरियर तथा धन की आमद के स्रोत को बनाती है।
  • तीसरी महत्वपूर्ण दिशा उत्तर दिशा है जिसके स्वामी कुबेर हैं। यह धन संपदा ऐश्वर्य के देने वाले तथा उसकी रक्षा करने वाले हैं।
  • इन दिशाओं से हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है ।
  • अतः घड़ी जब भी लगाएं तो सबसे पहले उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की दिशा का चयन करें ।
  • यदि उत्तर-पूर्व ( ईशान कोण ) में संभव ना हो सके तो पूर्व दिशा में लगाएं।
  • पूर्व दिशा में संभव ना हो तब उत्तर दिशा में घड़ी को दीवाल में लगाना चाहिए।

वास्तु शास्त्र और घड़ी की नकारात्मक दिशा !

  • दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा मानी गई है, और जिस के देवता यमराज हैं। जिनका काम मृत्यु का हिसाब रखना होता है।
  • दक्षिण दिशा में लगाई हुई घड़ी कभी भी शुभ संकेत या सूचनाएं नहीं देती।
  • इस दिशा में घड़ी लगाने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता है और मृत्यु की सूचनाएं मिलती रहती हैं।
  • अतः भूल कर के भी दक्षिण दिशा में घड़ी ना लगाएं ।
  • दूसरी दिशा पश्चिम दिशा है जिसके देवता वरुण है यह वायुु की दिशा है ।
  • जिस प्रकार वायु निरंतर चलती रहती है उसी प्रकार इस दिशा में घड़ी लगाने से घर के प्रत्येक सदस्य का मन अस्थिर रहता है ।
  • और हमेशा घर के बाहर भटकने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
  • मन की अस्थिरता और भटकाव कभी भी सफलता प्रदान नहीं करते ।
  • अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा भी घड़ी के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।

वास्तु शास्त्र और घड़ी का आकार !

  • घड़ी हमेशा गोल या अंडाकार होनी चाहिए ।
  • चौकोर या तिकोन या विभिन्न कोणीय घड़ियां अशुभ मानी जाती हैं।
  • क्योंकि वास्तु के अनुसार घर में कोई भी नुकीली चीज नहीं होनी चाहिए।

बंद घड़ी कभी ना रखें !

  • पुरानी या टूटी हुई और बंद घड़ियां कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए।
  • बार-बार घड़ी को सुधार कर नहीं लगाना चाहिए।
  • पुरानी घड़ियां किसी को दान में देना शुभ माना जाता है।
  • बंद घड़ियां आपके जीवन में आने वाले अच्छे अवसर के मार्ग को बंद कर देती हैं।

अब तक आपने पढ़ा ; घड़ी और वास्तु शास्त्र, वास्तु शास्त्र के अनुसार घड़ी किस दिशा में होनी चाहिए और किस दिशा में नहीं लगाना चाहिए तथा घड़ी का आकार क्या होना चाहिए ।

कहीं आपने भी तो नहीं लगा रखी ऐसी दिशाओं में घड़ियां । वास्तु को समझते हुए अपने घर की घड़ियों को उचित स्थानों में लगाएं । छोटी सी सावधानी आपके जीवन में अपार खुशियां सुख-समृद्धि, सफलता, यश-कीर्ति, मान-सम्मान को ला सकती है।

अन्यथा कहते रह जाएंगे ;

हमें हर वक़्त यह एहसास दामन-गीर रहता है

पड़े हैं ढेर सारे काम और मोहलत ज़रा सी है खुर्शीद तलब

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