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कैसे पाएं खोया आत्मविश्वास ? अचूक तरीके !



जीवन दुःख सुख का संगम है। दुःख की यह आदत होती है कि वह सबसे पहले जीवन की सकारात्मकता को नष्ट करता है और जीवन निराशा में डूब जाता है ।

किन्तु यही वह समय है जहां यह ध्यान रखना होता है कि अपने उत्साह को व खुशियों को बचाकर रखें । आपका जीवन बहुमूल्य है ।

पूर्व प्रारब्ध व बड़े ही पुण्यकर्मों से यह मानव जीवन आपको प्राप्त हुआ है। यूँ निराशा या दुःख में जीवन को नष्ट नहीं करना हैं ।

कोई परिस्थितियां , या कोई व्यक्ति या कोई बात आपके जीवन से या आपसे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती। अतः किसी भी परिस्थितियों में अपने आपको दुखी न होने दें।

अब आपको निराशा व विषम स्थितियों से घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। यदि आप लेख में सुझाये गए तरीके अपनाते हैं तो आपके जीवन से निराशा दूर होकर मन आत्मविश्वास से भर उठेगा ।

मस्तिष्क में विचारों का मेला हर समय लगा रहता, उसी तरह कार्यों की भी श्रृंखला चलती रहती है, यही कार्यों की श्रृंखला हमे आत्मविश्वासी बनाने में हमारी मदद करती है।

तो आइए हम क्रमशः आगे बढ़ते हैं…
हमें अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए निम्न स्तरों से गुजरना होता है-

1. आवश्यक कार्यो को स्वयं पूरा करें

आपके आस पास जो भी रोजमर्रा के कार्य है जिन्हें करना आपके लिए आवश्यक है या वे कार्य जिन्हें आपको आवश्यक रूप से करना ही होता है, उन कार्यों की एक सूची बनाएं।

बहुत ही आसान तरीका है आपको अलग से कोई प्रयास नही करना है, बस जो कार्य आप करते उन्ही कार्यों में कार्यों का विभाजन अति आवश्यक, आवश्यक, सामान्य, अति सामान्य, अनावश्यक, अति अनावश्यक के रूप में कर लें।

ततपश्चात उक्त कार्यो को निश्चित समय मे नियमित पूरा करने की आदत डालें। नियमित कार्यों को करने से कार्य मे दक्षता प्राप्त होती है। जो आपके खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाता है।

2. स्वयं को समय दें

अब तक अपने अपने कार्यों को समझा, अब अपने आपको समझें। अपने लिए एक दिनचर्या सूची तैयार करें।

इस दिनचर्या सूची में नियमित व्यायाम, नियमित आहार व नियमित नींद को शामिल करें।

कुछ समय का ध्यान अवश्य करें। ध्यान मष्तिष्क की उलझनों को सुलझा कर मन को स्वस्थ व प्रसन्न रखता है।

3. स्वस्थ मनोरंजन व सकारात्मक मित्र बनाये

मनोरंजन का अर्थ मोबाइल या टीवी नही है। अच्छी व प्रेरणादायक पुस्तकें, महान व सफल लोगों की जीवनियां पढें। साकारात्मक मित्रों के साथ रहें।

स्वाध्याय व पूजा अवश्य करें। इससे मानसिक सुकून मिलता है। एवं मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।

उम्र चाहे जो हो, जीवन मे खेल को स्थान अवश्य दें। खेल ऐसे हो जिससे शरीर मे हलचल हो। बैठे बैठे खेलने से लाभ नही होता।

खेलने से मन, शरीर के व्यायाम के साथ योग व प्राणायाम भी हो जाते है। अतः खेलने वालों को अलग से प्राणायाम करने की आवश्यकता नही होती।

4.अनावश्यक कार्यों की जिम्मेदारी न लें

अक्सर आप दूसरों को खुश करने के लिए स्वयं पर कार्यों का बोझ बढ़ा लेते हैं जिससे आपका मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।

निरन्तर ऐसा होने से आप चिड़चिड़े हो जाते हैं व कार्यकुशलता में कमी आ जाती है। आप स्वयं पर भी ध्यान नही दे पाते।

आप पूरे समय थका हुआ महसूस करते हैं।यहीं से आपका आत्मविश्वास स्वयं पर कम होने लगता है। और दूसरे भी खुश नही रह पाते।

अतः झूठे मान सम्मान व दिखावे के लिए स्वयं पर कार्य का बोझ न बढ़ावें।अपनी क्षमता अनुसार ही कार्य करें।

5. स्वयं को अपडेट रखें

दैनिक अखबार पढें। व अपने आस पास के क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी रखें।

स्वयं को अपडेट रखने के लिए किराना, सब्जियों, फलों की कीमतों की जानकारी लें।

मोबाईल में हो रही चर्चाओं में अपडेट रहें। स्वयं के विचार भी रखें। स्वयं के हुनर व कला को भी पोस्ट करें, जिससे आपका उत्साह बढ़ेगा व आपकी कला में निखार आएगा।

बच्चों के स्कूल की जानकारी लें। व उनके शिक्षको से बात करें। इस तरह जानकारी एकत्र करने के लिए आप जितने लोगों से मिलेंगे, उतना ही आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा।

6. सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों

समाज में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लें कि आगे आकर अपना योगदान अवश्य दें। इससे आपकी पहचान बनेगी।

अच्छे कार्यों में शामिल होने से आप समाज मे प्रसंशा के पात्र बनेगें जो आपके जीवन मे खुशियों के पलों को बढ़ाएगा।

स्वयं भी ऐसी गतिविधियों को आयोजित करें व लोगो को शामिल करें , दूसरों को भी अवसर दें। इस तरह भी आपके मन में स्वयं के प्रति विश्वास उतपन्न होगा।

7. कार्यों को टाले नहीं

अब तक आपने दो बातें सिख लीं, एक तो अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों को जाना व दूसरी बात उन कार्यों को समय मे पूर्ण करना सीखा।
यह आपकी सफलता सीढ़ी थी। इसके साथ ही आप यह भी जान गए होंगे कि यदि हम काम करना चाहते हैं तो समय की कमी बिल्कुल नही होती है, बल्कि सब काम समय पर पूरा होने के साथ साथ समय बचता भी है।

अत किसी भी कार्य को समय की कमी या साधनों की कमी का बहाना बनाकर न टालें ।

इस तरह से समय पर कार्य पूर्ण करने की प्रक्रिया के तहत आपमे कार्यों को करने की सूझबूझ पैदा हो जावेगी।
यही सूझबूझ अन्य ऐसे कार्य भी जो आपने कभी नही किये हैं, वह भी करने में आपको मदद करेगी ।

तब आपकी खुशी का ठिकाना न होगा जब किसी भी कार्य को आप दक्षतापूर्वक करने में सफल हो जाएंगे।

लोगों को आप पर पूरा भरोसा होगा, क्योंकि आप एक सफल व्यक्ति हैं, आपमे कार्यों को करने की दक्षता है।

8. हमेशा सक्रिय रहें

हमेशा अपने आपको किसी न किसी कार्य में लगा कर रखें । कभी खाली न बैठें।

कार्य करते हुए आपको स्वयं पर व अपनी कार्यक्षमता पर विश्वास होने लगेगा। स्वयं के प्रति यही विश्वास की भावना ही आत्मविश्वास है।

यह आत्मविश्वास आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देगा, आपको लोकप्रिय बना देगा।

अंत मे ये समझ ले कि आपके कार्य ही आपके भीतर आत्मविश्वास को जन्म देते हैं अतः कर्मठ बने।

अपनी जीवनचर्या में श्रम को महत्व दें। प्रत्येक कार्य जो भी सामने उपस्थित हो उसे करने का प्रयास करें।

9. दूसरों के कार्यो की सराहना करें

अपने आसपास के लोगों द्वारा किये जाने वाले कार्यों की खुले दिल से सराहना करें।

दूसरों की मुसीबतों में उन्हें दिलासा दें। और ये भी समझें कि आप red अकेले इस संसार मे दुखी नही हैं। दूसरों का दुख बांटे।

स्वयं की मुसीबत में दुखी वही होता है जिसने कभी किसी का दुख न बांटा हो।

दूसरों की तकलीफों को दूर करते हुए आपको स्वयं की तकलीफों का समाधान भी मिल जाता है।

10. विशाल हॄदय बने

सभी के सुख दुख में शामिल हो व उन्हें राहत पहुचाने का प्रयास करें।

सभी के मित्र बनें। मित्र बनाये नही अपितु मित्र बने। मित्र वो होता है जो मुसीबत में मदद करता है। अतः मदद करने वाला बने। मदद मांगने वाला नही।

हॄदय को विशाल रखें। सभी के काम आए। सहन शक्ति बढ़ाये, प्रेम व स्नेह , कृपा, दया ,क्षमा, परोपकार जैसे सकारात्मक गुणों का विस्तार करें।

उपरोक्त गुणों को धारण करने वाला कभी भी निराश व दुःखी हो ही नही सकता। अतः निरन्तर आत्मोन्नति में लगे रहें।

इस तरह की जीवन शैली से दृढ़ आत्मविश्वास जाग्रत होगा जो किसी भी परिस्थितियों में आपको विचलित नही होने देगा।

निश्चित ही आपके सारे सवालो के जवाब आप पा चुके होंगे। अतः आज से ही दृढ़ संकल्प के साथ अपने खोए हुए आत्मविश्वास को पुनः प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाये,व प्रयत्न करना आरंभ करें।

स्वयं व दूसरों को भी प्रेरित करें आत्मविश्वास की इस पाठशाला से सबक लेने के लिए।

इस संदर्भ में आपके विचार आमंत्रित है कृपया कमेंट अवश्य करें।
श्रीमती रेखा दीक्षित एडवोकेट

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