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कैसा भोजन करना चाहिए!What should be the food?

 कैसा भोजन करना चाहिए ! यह जानना बहुत जरूरी है। यह शरीर व मन का पोषण करता है।  हमारे शरीर की ऊर्जा है।

कहावत है कि जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन। अतः कहाँ खाएं, कैसे खाएं, कितना खाएं सब कुछ जानना बहुत जरूरी है।

श्रीमद्भागवत गीता में भोजन के विषय मे बताया गया है।आइए इस विषय मे जानते हैं। 

आज इस लेख में आप पाएंगे-

  • भोजन के प्रकार।
  • सतोगुणी भोजन।
  • सतोगुणी भोजन के प्रभाव।
  • रजोगुणी भोजन।
  • रजोगुणी भोजन के प्रभाव।
  • तमोगुणी भोजन।
  • तमोगुणी भोजन के प्रभाव।

श्रीमद्भागवत गीता में भोजन के तीन प्रकार बताए गए हैं-

भोजन के प्रकार Types of food

  • 1- सतोगुणी भोजन
  • 2- रजोगुणी भोजन
  • 3- तमोगुणी भोजन

भोजन का प्राचीन इतिहास रहा है की कैसा भोजन करना चाहिये।

भोजन केवल भूख लगने पर ही तैयार किया जाता था।पहले संग्रह करने की व्यवस्था नही थी।

केवल कन्द, मूल फल आदि खाये जाते थे।सभ्यता के विकास के साथ साथ भोजन के स्वरूप का भी विकास होने लगा।

और बदल गया हमारा भोजन का तरीका, ओर भोजन। आज भोजन संग्रह की वस्तु हो गई है।

कच्चे अनाज तो संग्रह किये ही जाते हैं। अब तो पका अन्न भी फ्रिज में हफ्तों तक संग्रह कर खाया जाता है।

भोजन का यह तरीका कितना हानिकारक है, आने वाली पीढ़ी इससे अनभिज्ञ है।

बासी, सड़ा हुआ, विकृत अन्न खाने से समाज में विकृति आती जा रही है ।

कुछ हद तक इस विकृति को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।

अवश्य पढें?यदि आप भी करते हैं इन शब्दों का इस्तेमाल, तो, हो जाएं सावधान ?

1- सतोगुणी भोजन Satoguni food


आयु: स्तवबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धना:।
रस्या: स्निग्धा: स्थिरा ह्रद्या आहारा: सात्विकप्रिया:।।8।।

(श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17, श्रद्धा के विभाग)

अर्थात -“जो भोजन सात्विक व्यक्तियों को प्रिय होता है, वह आयु बढ़ाने वाला, जीवन को शुद्ध करने वाला होता है।

तथा बल, स्वास्थ्य, सुख, तथा तृप्ति प्रदान करने वाला होता है।

ऐसा भोजन रसमय, स्निग्ध, स्वास्थ्यप्रद था हॄदय को भाने वाला होता है।

सतोगुणी भोजन के प्रभाव- Effect of Satoguni food-

  • सतोगुणी भोजन अत्यंत लाभकारी होता है।
  • तथा मन मे सात्विक प्रवृतियों को जन्म देता है।
  • ऐसा भोजन करने वाला व्यक्ति बुद्धिमान, फुर्तीला, तथा किसी भी बात को शीघ्र समझने वाला होता है।
  • ऐसा भोजन करने वाला व्यक्ति सात्विक (शुद्ध) बुद्धि होने के कारण सभी कार्यों में अग्रणी व निरोगी होता है।

2- रजोगुणी भोजन Rajoguni food

भोजन का दूसरा प्रकार है रजोगुणी भोजन।

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः । आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः ।।९।।

(श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17, श्रध्दा के विभाग)

अर्थात – अत्यधिक तिक्त, खट्टे, नमकीन, गरम, चटपटे, शुष्क तथा जलन उतपन्न करने वाले भोजन रजोगुणी है।

ऐसे भोजन रजोगुणी व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। ऐसे भोजन दुख, शोक तथा रोग उतपन्न करने वाले है।

कैसे रहें सदा प्रसन्न; डालें केवल एक आदत !How to stay happy always; Add only one habit!

रजोगुणी भोजन के प्रभाव-Effect of Rajoguni food-

  • ऐसे भोजन केवल जीभ को संतुष्ट करने वाले होते हैं ।
  • ये विभिन्न रोगों को जन्म देते हैं।
  • ऐसा भोजन करने वाला व्यक्ति हमेशा बीमारियों से घिरा रहता है।
  • मन मे हमेशा क्रोध व उत्तेजना बनी रहती है।
  • किसी भी कार्य मे स्थिरता नहीं रहती।
  • मन बेचैन रहता है ।
  • हमेशा कार्यों में असफल रहता है।
  • रजोगुणी भोजन में मन उचाट रहता है।
  • तथा भटकता रहता है। चंचल बना रहता है।
  • एकाग्रता नष्ट हो जाती है।

3- तमोगुणी भोजन- Tamoguni food-

यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्। उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ॥१०॥

(श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 , श्रद्धा के विभाग)

अर्थात- खाने से तीन घंटे पूर्व पकाया गया स्वादहीन, वियोजित एवं सड़ा, जूठा तामसी भोजन होता है।

तथा अस्पृश्य वस्तुओं से युक्त भोजन तामसी है।ऐसा भोजन उन लोगों को प्रिय होता है, जो तामसी होते हैं।

तामसी भोजन का प्रभाव Effect of tamasi food

  • तामसी भोजन अक्सर पकाने के तीन घण्टे बाद का बासी भोजन होता है।
  • ऐसा भोजन आलस्य, निद्रा, प्रमाद आदि को जन्म देता है।
  • ऐसा भोजन करने से मन हमेशा उदास, निराश व दुखी रहता है।किसी भी कार्य मे मन नही लगता ।
  • हर समय भ्रम व संशय बना रहता है।
  • जीवन मे कभी भी तरक्की नही हो पाती।
  • व ईर्ष्या, द्वेष, घृणा आदि नकारात्मक भावनाएं मन मे पैदा होती हैं।

संक्षेपतः – In short

  • भोजन का एकमात्र मूल उद्देश्य आयु को बढ़ाना, मष्तिष्क को शुद्ध करना, तथा शरीर को शक्तिशाली बनाना है।
  • अतः आज की स्पर्धा से दूर रहते हुए उचित आहार को अपने जीवन मे अपनाते हुए उन्नति का मार्ग अपनाना चाहिए।
  • जीवन का उद्देश्य भोजन नहीं है , भोजन तो मात्र जीवन चलाने के लिए है।
  • भोजन के तीनों प्रकारों को समझकर जैसा आप बनना चाहतें हो उसे अपनायें।
  • भोजन सतोगुणी ही श्रेष्ठ होता है ।
  • अतः सभी का मार्गदर्शन करें।
  • व अधिक से अधिक लोगों को इसे समझाने का प्रयास करें ताकि समाज को उन्नत करने में यह सार्थक हो।

भोजन कैसा करना चाहिए लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने मित्रों व परिवारजनों को शेयर करें। 

ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए देखें

http://Indiantreasure.in

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