आप सोच रहे होंगे श्रीमद भागवत गीता का क्या सन्देश है इस में ऐसा क्या है , जिसकी सभी पूजा करते हैं । तो आज इसी विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। वर्तमान समय मे समाज की स्थिति बहुत ही दुःखद व दयनीय होती जा रही है ।हिंसा का विकराल रूप दिख रहा है।
अखबार ऐसी खूनी घटनाओं से लगातार रंग रहें हैं। समाज में डिप्रेशन बढ़ रहा है । छोटे-छोटे बच्चे तनावग्रस्त हो रहे हैं । यह सब परिवर्तित जीवन शैली का परिणाम है । इन के कारणों को ढूंढना पड़ेगा । आइए देखते हैं कारण क्या है ?
पूर्व में भी महामारी जैसी अन्य भीषण स्थितियां आईं है ।किन्तु ऐसे भीषण काल मे अनेक प्रतिभाओं ने जन्म लिया अनेक ऐसी कृतियां देश को उपलब्ध हुई , जो आज भी हमारे देश की अमूल्य धरोहरों में शामिल है। किन्तु आज परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
श्रीमद भागवत गीता के अध्ययन से लाभ !
यह आपका औरा मजबूत बनाती है !
- इसके लिए तो सबसे पहले ये जान लें कि औरा क्या होता है।
- प्रत्येक व्यक्ति का एक आभामंडल होता है व प्रत्येक व्यक्ति में एक ऊर्जा / एनर्जी का स्रोत होता है।
- ये एनर्जी नेगेटिव भी होती है और पॉज़िटिव भी। उसे ही हम उस व्यक्ति का औरा कहते हैं।
- हमारी जीवनचर्या में परिवर्तन ला करके हम अपनेे औरा को मजबूत बना सकते हैं।
- इसके लिए हम को सुबह उठना एवं नित्य कर्मों को नियमित रूप से करना एवं अध्यात्म में रूचि रखना अति आवश्यक है।
- स्वाध्याय में हमें कुछ ना कुछ अपने धार्मिक आयोजन शामिल करने चाहिए।
- इन्हींं से हमारा आभामंडल मजबूत होताा है।
- और जिस व्यक्ति का जितना मजबूत आभामंडल होता है उतना ही उसका सुरक्षा का क्षेत्र तैयार हो जाता है।
- आपके आभामंडल को कोई भी व्यक्ति टच नहींं कर सकता।
- इस प्रकार आप स्वयं को बहुत सी विपत्तियों से बचा सकते हैंं ।
- और दूसरों के द्वारा स्वयं पर किए जाने वालेे अपराधों से भी स्वयंं को सुरक्षित रख सकते हैं।
- श्रीमद भागवत गीता का नियमित अध्ययन से आपका औरा मजबूत होता है और सभी विपत्तियों से बचा सकता है।
श्रीमद भागवत गीता का अध्ययन निराशा को आशा में बदलता है !
- आज से 5000 वर्ष पुराना हमारा साहित्य केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं यह एक दार्शनिक ग्रंथ भी है ।
- साथ ही जीवन की प्रत्येक कला से परिचित कराने वाला ज्ञान इसमें शामिल है ।
- श्री कृष्ण ने अर्जुन को मात्र ज्ञान नहीं दिया था अर्जुन एक पात्र मात्र है।
- कलियुग के प्रत्येक जीवन दर्शन को समझने और समझाने के लिए ,
- किस प्रकार से कलियुग में घटनाएं घटित होंगी या घटित हो रही हैं और उनसे हम को किस प्रकार से निपटना है ।
- यह हमें बताती है कि अपनी निराशा को किस प्रकार से आशा में बदलना है ।
श्रीमद भागवत गीता का सार जाने !
- अपने आसपास के लोगों को पहचानना है, न्याय और अन्याय के भेद को समझना है।
- पारिवारिक संबंधों के महत्व को समझना है ,गुरु के सम्मान के प्रति चेतना लानी है ,
- भगवान और भक्त का संबंध क्या है, मित्र और मित्र का आपस में क्या संबंध है ,
- रिश्तो का आपस में क्या महत्व है यह सारी चीजें हमको गीता से सीखने को मिलती है।
- गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ समझ के हम पूजा कक्ष में रख देते हैं , और नियमित पूजा करते हैं ।
- लेकिन उसको खोलकर पढ़ना उसको समझना उसमें लिखा क्या है, क्यों लिखा है, क्या लिखा है
- और हम हमारे जीवन में वह कहां तक लागू किए जाने योग्य है।
- यदि हम इस दृष्टि से गीता का अध्ययन करते हैं तो हम अपने जीवन को सुखमय और सारगर्भित बना सकते हैं ।
श्रीमद भागवत गीता का महत्व !
- हमारे जीवन के बहुत से कष्ट ,बहुत ही तकलीफ से, बहुत से अन्याय जो हम पर होने वाले हैं,
- या बहुत से अपराध जो हमारे साथ घटित होने वाले हैं, उनसे हम स्वयं को सुरक्षित कर लेते हैं ।
- क्योंकि गीता पढ़ने से हमें केवल दार्शनिक, आध्यात्मिक, पारिवारिक, सामाजिक ज्ञान और
- राजनीति ज्ञान ही नहीं आता बल्कि उसके अध्ययन से हमारे अंदर भक्ति का प्रादुर्भाव होता है ।
- और यह भक्ति हमारे आसपास एक आभामंडल को बनाती है ।
- आपने देखा होगा कई बार कई व्यक्तियों को देखते हैं तो उन्हें देख कर बात करने में भी डर लगता है । क्यों ?
- क्योंकि उनका आभामंडल बहुत तेज होता है ।
- आभामंडल को भेदन करना हर एक के बस की बात नहीं होती तो इस तरह से जब हमारा भी आभामंडल
- इतना तेज हो जाएगा तो बुरे विचार हमारे तक पहुंचने से पहले ही कट कर दूर हो जाएंगे ।
- इस प्रकार हम अपने आभामंडल को तीव्र बना कर अपने पास आने वाली बुराइयों को दूर से ही विदा कर सकते हैं ।
- यह आभामंडल आपका सद साहित्य के पढ़ने से, सद्गुरु के संगत में रहने से और सदाचरण करने से उत्पन्न होता है
- आभामंडल कोई बाजार में बिकने वाली चीज नहीं है कि हम सोचे कि हमें आभामंडल तेज करना है
- और हम गए कि चलिए कुछ साहित्य खरीद के लिए आते हैं वह रहेगा घर में तो शायद आभामंडल तेज हो जाएगा ।
- ऐसा कदापि संभव नहीं है इसके लिए तो आपको स्वयं मेहनत करनी पड़ेगी।
अपना आभामंडल मजबूत करें !
- एक देव काल होता है, जिसे ब्रम्हमुहूर्त कहते हैं। उस देव काल में उठना पड़ेगा ।
- जब आप देव काल में उठेंगे तो देवता जैसी आप की शक्तियां होंगी। देव कार्य करने पड़ेंगे। देवता क्या है ?
- मनुष्य योनि से एक स्तर ऊपर हैं देवता। उनके आचरण देने वाले हैं इसलिए वह देवता है ।
- जब हम अपने से उच्च श्रेणी के लोगों का अनुकरण करते हैं तो हम उनके समान होने लगते हैं ।
- इसीलिए तो लोग कहते हैं कि अच्छे लोगों की संगति करो । हम देव काल में उठे, देव कार्यों को करें ,
- देवीय बातों का अनुकरण करें , तो हम देवता हो जाएंगे तो हमारा आभा चक्र मजबूत हो जाएगा
- और जिस प्रकार देवताओं के पास में बुरी आसुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती वैसे ही हमारे आभा मंडल में बुरी
- शक्तियां , बुरे लोग जो है वह हमारे आभामंडल से कतरा के हम से स्वयं दूर हो जाएंगे ।
- तो इस प्रकार से हमारा आभामंडल मजबूत हमें बनाना चाहिए ।
- निश्चित ही आज समाज को इस की बहुत आवश्यकता है नया सीखने में बुराई नहीं है खूब अच्छे से सीखे ।
- जितना ज्यादा हो सके अपडेट रहें, लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि नया सीखने के साथ हमें
- पुराना याद रखने की जरूरत भी है । यदि हम पुराने को भी भूल जाएंगे तो आप यह समझिए कि
- आप उस धरती को भूल गए जिस पर आप खड़े हैं तो जब आप उसको भूल गए तो आप गिरेंगे निश्चित ।
श्रीमद भागवत गीता को स्मरण रखें !
- हमको अपने पुरातन साहित्य को अपनी पुरातन परंपराओं को अपने पूर्वजों को हमेशा याद रखना है ।
- तभी आप एक परिपूर्ण मनुष्य कहलाएंगे, एक परिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी कहलाएंगे ।
- इसके लिए पिछला हमें याद रखना और पिछला याद करने के लिए हमें गीता का अध्ययन करना जरूरी है ।
- गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत आवश्यक है ।
- हमने सनातन धर्मी होने के कारण गीता को स्थान तो दिया है लेकिन कहां ? अपने पूजा घर में !
श्रीमद भागवत गीता का स्थान कहाँ हो !
- गीता का स्थान होना चाहिए हमारे हृदय में, हमारे मस्तिष्क में ।
- ताकि वह हमको हर पल निर्देशित करे कि हम को कैसे जीवन जीना है, हमें क्या करना है ।
- वर्तमान स्थिति में बच्चों के साथ जो स्थितियां पैदा हो रही हैं बहुत मेहनत करते हैं अच्छे के अध्ययन करतें है ।
- 80 – 85% लाते हैं और उसके बाद माता-पिता की महत्वाकांक्षा बच्चों को इस चौराहे पर लाकर खड़ा करती है
- जहाँ बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं और फिर मां-बाप रो रहे हैं , हत्यारा कौन है ? दोष किसका है ?
- यह दोष उस पीढ़ी का है, जो नया तो सीख रही है लेकिन पुराना भूल चुकी है ।
- इसलिए वापस लौटें, पुराने को साथ लें और आगे बढें । हमें अपने पुराने साहित्य का अध्ययन जरूर करना चाहिए,
- जिसमें श्रीमद भागवत गीता का स्थान तो सर्वोपरि है ही,
- हमारे एक से एक ग्रंथ पड़े हैं जिनमें जीवन के बारे में बताया गया है आज जो परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं,
- समाज में लोग हिंसा की ओर बढ़ चले जा रहे हैं कोई आत्महत्या कर रहे हैं ,कोई खून कर रहे हैं ,
- कोई किसी की हत्या कर रहे हैं ,कोई किसी के घर जला रहे हैं, कोई किसी का एक्सीडेंट कर रहे हैं ।
- यह सब दुर्घटनाएं एकमात्र परिणाम है हमारी अनियमित दिनचर्या का ।
- जो हमारे भोजन से लेकर हमारी निद्रा तक में समाहित होती है।
- यानी सूर्य की पहली किरण से लेकर के चंद्रमा की पहली किरण तक के हमारी जो दिनचर्या होती है
- और रात्रि कालीन जो चर्या होती है वही हमारे जीवन को पूर्णतया निर्देशित करती है।
श्रीमद भागवत गीता का लाभ !
- जैसा भी आप जीवन जीना चाहते हैं वैसा आपको खुद करना पड़ेगा ।
- कोई कहीं से ला करके आपको मजबूत औरा प्रदान नहीं कर सकता ।
- इसे कोई कहीं से लाकर आपके डिप्रेशन को दूर नहीं कर सकता ।
- कहीं से कोई ऐसा चमत्कार नहीं हो सकता कि आप एकदम से प्रभावशाली और समृद्धिशाली बन जाए।
- इसके लिए आप जवाबदार है, आपको स्वयं अपने सुखद भविष्य के ,समृद्धि भविष्य की तैयारी करनी होगी ।
- एक बात महत्वपूर्ण है कि श्रीमद भागवत गीता का अध्ययन आपको यह सब दिल सकता है।
- इसे पढ़ने वाला व्यक्ति बिल्कुल यह ना सोचें कि हमें श्रीमद भागवत गीता का सार समझ में क्यों नहीं आ रहा ?
श्रीमद भागवत गीता का रहस्य !
- गीता देववाणी है भगवान कृष्ण के मुख से निकली हुई बात है ।
- हम कलयुग में मनुष्य को इतनी आसानी से समझ में नहीं आने वाली, उसे समझने का प्रयास बिल्कुल ना करें
- श्रीमद भागवत गीता का तो केवल पढ़ने का अभ्यास करें आप एक बार पढ़कर गीता को पढ़ना नहीं कहेंगे ।
- उसको आप निरंतर पढ़ते रहें, उसको अपने जीवन का एक हिस्सा बनाएं ,उसको समझते जाएं ,पढ़ते जाए ।
- एक बार दो बार तीन बार यह कोई क्लास का कोर्स नहीं है कि कुछ पढ़ा और याद हो जाए या समझ में आ जाए।
- श्रीकृष्ण की वाणी है गीता !इसको कृष्ण समझाते हैं।
- श्रीमद भागवत का समझाना या समझना किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं है, यह समझ में आने लगती है ।
- जब गीता का अध्ययन निरंतर करते हैं अध्ययन से हमारे मन में श्री कृष्ण के प्रति भक्ति का भाव जागृत होता है
- यह सर्वविदित बात है जब हम किसी से भक्ति और प्रेम करने लगते हैं ,
- तो उसकी बातें बिना कहे ही हमें समझ में आने लगती हैं ।
श्रीमद भागवत गीता का अध्ययन मन में भक्ति पैदा करता है !
- अनोखी बात तो यह है कि जब आप गीता को इतना अपने जीवन का अंग बना लेंगे । पढने लगेंगे ,एक बार,
- 2 बार, 3 बार ,4 बार तब प्रेम का उदय होगा, भक्ति का उदय होगा ।
- यही भक्ति और प्रेम अपने आप आपको समझा देगी कि कृष्ण कहना क्या चाहते हैं।
- आपको कहीं कोई विद्वान की जरूरत नहीं है कि जो आपको गीता को समझाएं ।
- गीता में ऐसा क्या है ? इसमें श्री कृष्ण का प्रेम है! अर्जुन की भक्ति है! गुरु द्रोण का गुरुत्व है !
- श्री मद भागवत गीता में धृतराष्ट्र का पुत्र प्रेम है , दुर्योधन की हठधर्मिता है !द्रोपदी का त्याग है !
- गीता में कुंती की ममता है ! सारे रिश्तो का महत्व है। भीष्म की प्रतिज्ञा है। गीता में विदुर का न्याय है
- इस तरह से गीता में क्या नहीं है, जीवन के जितने भी रूप हमारे हर दिन काम में आते हैं वह सारी बातें गीता में है ।
- आवश्यकता है कि हम उस प्रेम को अपने अंदर इस तरह पैदा करें ।
- जब तक उसके प्रति हमारे मन में प्रेम नहीं होगा उसमें कही बातें हमें समझ में नहीं आएंगी ।
श्रीमदभागवत गीता का सन्देश !
- इसलिए विशेष प्रयास ना करें समझने का केवल कृष्ण से प्रेम करने का प्रयास करें ।
- उसके लिए आपको श्रीमद भागवत गीता का बार बार अध्ययन करना पड़ेगा ।
- क्योंकि जब हम किसी व्यक्ति को बार-बार देखते हैं उसके बार-बार साथ ले जाते हैं।
- उसके बार-बार बार रहते हैं तो हमें उस से प्रेम हो जाता है । आपको आश्चर्य होगा! जब आप गीता के बार-बार
- पास जाएंगे उसे बार-बार पढेगे, तो आपको कृष्ण से प्रेम हो जाएगा और जैसे ही प्रेम होगा तो
- एक भक्ति का उदय होगा औ उनकी हर बात को समझने के लिए आपका मन तैयार हो जाएगा
- और फिर गीता आसान हो जाएगी ।
- श्रीमद भागवत गीता का सार समझना कठिन नहीं है बस उसके पास आपको जाना है ।
- जैसे ही आप उसके पास जाएंगे आपका औरा/ सुरक्षा कवच मजबूत हो जाएगा ।
- औरा मजबूत होगा तो यह जितने तरह के अपराध दुनिया मे हो रहें है।
- यह सारे अपराध अपने आप ,कम से कम आप तक तो ना आ पाएंगे।
अंत में
- अपनी दिनचर्या में गीता को अपने साथ रखें उसका अध्ययन करें और अपने औरा को मजबूत बनाएं ।
- प्रत्येक घर में गीता हो साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को गीता का अध्ययन करना चाहिए, अपने घर के छोटे बच्चों को बताएं,
- अपने पड़ोसियों को बताए ,अपने घर के बड़े लोगों को बताएं।
- घर का प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक श्लोक गीता का रोज पढे।
- तो इस तरह से निरन्तर श्रीमद भागवत गीता का अध्ययन करने से हमारे आभामंडल में मजबूती आती रहेगी।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
बहुत सुंदर वर्णन है अनुकरणीय
धन्यवाद?
Very nice information…very good explanation of geeta…????
धन्यवाद?
बहुत बढ़िया।
हरे कृष्णा?
धन्यवाद,?
Insightful article, Thankyou 🙂
धन्यवाद?
धन्यवाद?