माघ पूर्णिमा 2023: (स्नान दान व पूजन) माघ मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय मास माघ मास है। सभी लोग पूरे मास में विभिन्न तरह से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
किन्तु पूर्णिमा तिथि विष्णु पूजा का अंतिम पड़ाव होता है। यदि कोई भूल – चूक भी हो जावे तो इसे आज पूर्ण किया जाता है।इस दिन की प्रमुख पूज्यनीय देवता हैं, भगवान विष्णु, चन्द्रमा, गंगाजल। आइए जानते हैं आज क्या करना चाहिए।
इस लेख में आप पाएंगे-
- शुभ मुहूर्त
- विष्णुपूजा
- चन्द्रपूजा
- गंगाजल प्रयोग
- कथा
- महत्व
- विशेष मंत्र
. शुभ मुहूर्त!
प्रत्येक पूजा का एक शुभ महूर्त होता है। जिसमे उस पूजा को किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि उस मुहूर्त में सम्बंधित देवी-देवता धरती पर विचरण करते हैं। और की जा रही पूजा को ग्रहण करते हैं। इसीलिए पूजा मुहूर्त में ही सम्पन्न करनी चाहिये। प्रारम्भ तिथि- 5 फरवरी दिन रविवार
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विष्णु पूजा का प्रभाव!
वर्ष में 12 पूर्णिमा पड़तीं है। प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु धन-धान्य और समृद्धि प्रदान करते हैं।
भगवान विष्णु की पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्र, पीले फल इत्यादि चढ़ाने चाहिए। केला अवश्य चढ़ाया जाता है। भगवान विष्णु को चावल नहीं चढ़ता है। अतः अक्षत की जगह आज काले तिल चढ़ाने चाहिए।
प्रातः काल जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। भगवान के समक्ष हाथ में जल और पुष्प लेकर पूजा या व्रत का संकल्प लें। (माघ पूर्णिमा 2023: स्नान दान व पूजन) विधिवत भगवान की पूजा करके भोग अर्पित करें। अंत में आरती करें। ब्राह्मण को सीधा सामग्री व दक्षिणा का दान अवश्य करें।
जिस घर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । उस घर में माता लक्ष्मी सदैव निवास करती है। धन और ऐश्वर्य की कामना करने वालों को पूर्णिमा की पूजा व दान अवश्य करना चाहिए।
कैसे करें चंद्र पूजा !
चंद्रमा मन का कारक होता है। अतः मन की वृत्तियों की शांति के लिए चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए। साक्षात देवता के रूप में सूर्य और चंद्र देव को माना जाता है। इनके पूजन और दर्शन से प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होता है।
चंद्रमा की पूजा में विशेषकर सफेद वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है। अतः चंद्रोदय पर कच्चे दूध में जल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। सफेद पुष्प चढ़ाएं। खीर का भोग लगाएं । एवं उस प्रसाद को परिवार के सभी सदस्य मिलकर खाएं।
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किसी भी पूजा की तैयारी कैसे करें ?
क्यों करें गंगाजल का प्रयोग!
राजा बलि की यज्ञशाला में जब भगवान विष्णु ने धरती नापने के लिए अपना बाया पैर बढ़ाया। तब उनके पैर की धमक से ब्रह्मांड का वह हिस्सा कट गया और उससे जल की धारा फूट पड़ी। वही जल की धार उनके पैरों को धोकर निकल पड़ी। ऐसे ही गंगा जी की उत्तपत्ति हुई।
भगवान विष्णु को गंगाजल अत्यंत प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन गंगाजल में विष्णु जी का निवास होता है। अतः गंगाजल से स्नान, गंगाजल से घर की शुद्धि एवं भगवान का अभिषेक गंगाजल से करने पर वे अत्यंत प्रसन्न में होते हैं।
जिस घर में अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी जैसे विशिष्ट दिनों पर गंगाजल मिश्रित जल से पोंछा लगता है। वह घर हमेशा पवित्र होता है। उसमें कभी भी नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती। इसलिए विशेष अवसरों पर गंगाजल का प्रयोग अवश्य करें।
उसी तरह गंगाजल से स्नान करने वाले व्यक्ति का ह्रदय भी सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।
माघी पूर्णिमा की कथा
पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है। ( माघ पूर्णिमा 2023: स्नान दान व पूजन)
- प्राचीन कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था । वह भगवत भक्त था। किंतु उसकी कोई संतान नहीं थी।
- ब्राम्हण और उसकी पत्नी दोनों नगर में भिक्षा मांग कर अपना पालन पोषण करते थे।
- एक दिन ब्राह्मणी को नगर में किसी ने भिक्षा नहीं दी। तथा बांझ कहकर उसका अपमान भी किया।
- जिससे ब्राह्मणी बहुत दुखी थी । तब उसे किसी ने 16 दिनों तक मां काली की पूजा करने के लिए बताया।
- ब्राह्मणी ने वैसा ही किया और मां काली प्रसन्न हुई। माता ने उससे प्रत्येक पूर्णिमा व्रत करने के लिए कहा।
- और प्रत्येक पूर्णिमा को एक-एक दीप बढ़ाते जाने के लिए कहा। जब तक कि 32 दीपक ना हो जाए।
पूजा का प्रभाव!
- माता काली के बताए अनुसार ब्राह्मणी ने पूर्णिमा की पूजा की। माघी पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणी ने अपनी पूजा पूर्ण की।
- पूजा के प्रभाव से कुछ दिनों में ब्राह्मणी गर्भवती हुई। तथा उसने एक पुत्र को जन्म दिया।
- पुत्र बहुत ही सुंदर सुशील और अध्ययन शील था। जल्द ही उसका विवाह भी हो गया।
- किंतु काल के प्रभाव से अकस्मात उसे गंभीर रोगों ने घेर लिया।
- किंतु पूर्णिमा व्रत के प्रभाव से वह शीघ्र ही रोगमुक्त हो गया।और वह अपने माता पिता के साथ सुख से रहने लगा।
- उसके प्रयासों से उसके व्यापार में उन्नति हो गई। इस तरह ब्राम्हण और ब्राह्मणी के दिन फिर गए।
माघी पूर्णिमा का महत्व!
- माघ पूर्णिमा 2023: स्नान दान व पूजन अति महत्वपूर्ण तिथि है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना एवं पूजा की जाती है।
- भगवान विष्णु ही समस्त सृष्टि का संचालन करने वाले हैं। माघ मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करना सरल हो जाता है।
- समस्त देवी देवता भी कार्य पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की आज्ञा लेते हैं।
- ऐसे में सीधे ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का यह मास है जो कि स्वयं भगवान को भी अति प्रिय है।
- पूरे मास भर विष्णु जी की पूजन पूजा की जाती है। किंतु किसी कारणवश भगवान विष्णु की पूजा ना कर सके हो तो यह माघी पूर्णिमा पूरे मास का संपूर्ण फल देने वाली है ।आज का स्नान दान और पूजन विशेष फल देने वाला होता है।
- इस दिन पवित्र नदियों पर और घाटों पर स्नान किया जाकर दान करने का विशेष महत्व है।
- दान में काले तिल और ऊनी वस्त्र दान किया जाता है। माघ पूर्णिमा 2023: स्नान दान व पूजन से यह व्रत धन-धान्य व ऐश्वर्य प्रदान करता है।
सिद्धिदायक मंत्र!
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
आशा है आपको माघ पूर्णिमा 2023: स्नान दान व पूजन से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों को अवश्य शेयर करें ।ऐसी ही अन्य अनेक व्रत और त्योहारों की जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर आएं।👇👇
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