पुराण दान – ग्रंथो में दान की महिमा | Puraan Granthon Me Daan Ki Mahima ; धर्म के लिए किया गया वह कार्य जिस में श्रद्धा युक्त होकर, किसी याचक या दीन हीन व्यक्ति को, जीवन उपयोगी वस्तुएं सदा के लिए प्रदान की जाती हैं। उसे ही दान कहते हैं।
दान देने वाला श्रद्धालु, दानदाता, दानी, दान शील, दानवीर अथवा दानशूर कहलाता है ।
और दान लेने वाला उपयुक्त व्यक्ति दानपात्र कहलाता है। मनुष्य के लिए दान से बढ़कर कोई सुख नहीं है। दान भोग तथा मुख्य फल देने वाला है
दान के प्रकार
पुराणों में दान के अनेक प्रकार बताए गए हैं ।
जिसमें अन्नदान, जलदान, भूमिदान, स्वर्णदान, रजतदान, गोदान, तिलदान, गुड़दान, वस्त्रदान, लवणदान, दीपदान, कन्यादान, अश्वदान एवं विद्यादान आदि अनेक दान है ।
पुराणों का दान ब्रह्म दान कहा गया है। यह सात्विक दान है। अपने कल्याण के लिए तथा परमात्मा की प्रसन्नता पाने हेतु किया जाता है।
धार्मिक भावना से सत पात्र को यह ग्रंथ अर्पित किए जाते हैं। महर्षि व्यासजी द्वारा पुराणों में वेद उपनिषदों का सार संग्रहित किया गया है। अतः इन ग्रंथों के दान का महान फल है।
पुराण का दान कैसे करना चाहिए ?
- भागवत आदि पवित्र ग्रंथों को दान करने की विशिष्ट पद्धति होती है।
- इन पवित्र ग्रंथों को दान करने के लिए एक सुंदर पवित्र वस्त्र आदि से लपेट कर अलंकृत करें।
- सिंहासन के ऊपर रखकर इनकी पूजा करें। पूजित ब्राम्हण देवता को इसे दें।
- वेदाभ्यासी, स्वाध्यायी, तपस्वी, जितेंद्रीय, श्रोत्रिय, कुलीन, कर्मनिष्ठ, ईश्वर भक्त, ज्ञान पिपासु, विनयी, ज्ञानी एवं संतुष्ट ब्राह्मण ही ग्रंथ दान के सुपात्र होते हैं।
- अतः योग्य व्यक्ति को ही दान करना चाहिए।
- दान के रुप में अर्पित किए जाने वाले ग्रंथ को दानदाता स्वयं पढ़कर, सुनकर, सुना कर, लिख कर अथवा लिखवा कर शास्त्रों द्वारा निश्चित समय पर दान करें।
- श्रद्धा भक्ति से ओतप्रोत होकर शुद्ध ह्रदय से सुपात्र को आदर पूर्वक दान दें।
- इस प्रकार दान देने से भोग मोक्ष प्राप्त होता है।
कौन से पुराण दान किए जाते हैं
ग्रंथों से संबंधित दान के बारे में नारदपुराण में बताया गया है। जो निम्नानुसार है
- नारद पुराण का दान
- मार्कंडेयपुराण का दान
- कूर्म पुराण का दान
- गरुणपुराण का दान
- भविष्य पुराण का दान
- वाराहपुराण का दान
- अग्निपुराण का दान
- स्कंदपुराण का दान
- पद्मपुराण का दान
- ब्रम्हपुराण का दान
- विष्णुपुराण का दान
- वायुपुराण का दान
- श्रीमद्भागवत पुराण का दान
- ब्रम्हवैवर्त पुराण का दान
- लिंगपुराण का दान
- वामनपुराण का दान
- मत्स्यपुराण का दान
- ब्रम्हांडपुराण का दान बताए गए हैं ।
पुराण दान करने का लाभ
- जो मनुष्य पुराणों का पूजन करके एकाग्र चित्त होकर दान करता है, वह आयु, आरोग्य, स्वर्ग और मोक्ष को प्राप्त करता है ।
- पुराने समय में पुराणों का दान लिखकर या लिखवा कर ही किया जाता था।
- उस समय आज की तरह मुद्रण व्यवस्थाएं नहीं थी।
- आज पुस्तकें मुद्रित होकर प्रकाशित होती हैं। अतः दानदाता ग्रंथों को दुकानों से क्रय करके,
- उनकी महिमा को समझते हुए पुनीत उद्देश्य से दान करें।
- दान हमेशा योग्यतम व्यक्ति को ही करें।
- वेदवेत्ता, पवित्र आत्मा, धर्मात्मा व्यक्ति को श्रद्धा भक्ति से दान करना चाहिए।
निष्कर्ष
सद्गृहस्थ व्यक्ति को न केवल पुराणों का दान करना चाहिए , बल्कि पुराण ग्रंथ, महाभारत तथा अन्य पवित्र ग्रंथों को अपने घर में भी रखना चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों और बच्चों के मन पर पवित्र प्रभाव पड़ता है और वे संस्कारित होते हैं।
आशा है आपको यह पुराण ग्रंथों के दान से संबंधित जानकारी अवश्य अच्छी लगी होगी। हमारे 18 पुराणों में कौन से पुराण का दान किस वस्तु के साथ करना चाहिए, से संबंधित जानकारी हम अगले लेख में प्रस्तुत करेंगे।
आपने अपना कीमती समय निकालकर यह लेख पढ़ा आप इसके लिए बहुत धन्यवाद।
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