पश्चिमोत्तानासन करने की विधि व लाभ | Method And Benefits Of Doing Paschimottanasana ; यह आसन करने से बुढापा दूर रहता है। मेरुदण्ड को लचीला बनाने वाला यह आसन पीठ दर्द व अन्य सभी विकारों में लाभ पहुंचाता है।
आइए बिना देर किए हम आपको पश्चिमोत्तानासन करने की विधि व लाभ के बारे में सरल शब्दों में बताते हैं। आशा है यह जानकारी आपको अवश्य अच्छी लगेगी।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि
- यह आसन करने के लिए पृथ्वी पर पीठ के बल लेट जायें तथा दोनों पैरों को सामने की ओर फैला दें।
- वे परस्पर सटे हुए रहने चाहिए। दोनों हाथों को सिर की और ऊपर फैला दें।
- अब एक झटके के साथ दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए उठें ।
- कमर के ऊपरी भाग को सामने ले जाते हुए दोनों हाथों द्वारा दोनों पाँवों के अँगूठों को पकड़ने का प्रयत्न करें।
- साथ ही, नाक द्वारा एक बार बाँएं घुटने को छूने का प्रयत्न भी करें।
- ऐसा करते समय घुटने मुड़ने नहीं चाहिए तथा दोनों पाँव और हाथ एकदम सीधे तने रहने चाहिएं।
- यदि प्रारम्भ में लेटकर उठने, तदुपरान्त झटके के साथ उठकर अभ्यास करने में कठिनाई का अनुभव हो तो,
- फर्श पर बैठने के बाद ही इस अभ्यास को आरम्भ किया जा सकता है।
- सर्वप्रथम दाँये पाँव के अँगूठे को दायें हाथ से तथा बाँये हाथ से बाँये पाँव के अँगूठे का स्पर्श करें।
- यदि इस प्रयत्न में पहली बार पूर्ण सफलता प्राप्त न हो तो हाथों को वहीं तक ले जायें, जहाँ तक कि ये आसानी से जा सकें।
- फिर धीरे-धीरे उन्हें और आगे बढ़ाने तथा अँगूठों को पकड़ने का अभ्यास करना चाहिए।
- जब अंगूठों को पकड़ने में सफलता मिल जाये, तब नाक को घुटनों से लगाने का प्रयत्न करना चाहिए।

उक्त क्रिया को करते समय
- श्वास धीरे धीरे लेनी तथा छोड़नी चाहिए।
- नाक द्वारा घुटने का स्पर्श करते समय सिर दोनों बाँहों के बीच में होना चाहिए तथा बाँहें तनी हुई रहनी चाहिएं।
- अँगूठे पकड़े रहने की स्थिति में 5 से 8 सैकिण्ड तक रहना काफी है।
- अभ्यास का चक्र पूरा करते समय हाथों से अंगूठों को पकड़ छोड़कर दोनों हथेलियों को पाँवों के ऊपर रखते हुए,
- उन्हें धीरे-धीरे पीछे की ओर खींच लाना चाहिए।
- इस प्रकार पजों से जाँघों तक दोनों हथेलियों क्रमशः दोनों पाँवों का स्पर्श करती बनी रहें।
- उक्त प्रकार से जब एक चक्र पूरा हो जाये,
- तब 10 सैकिण्ड का विश्राम लेकर पुन: श्वास खींचते हुए अभ्यास को दुहराना चाहिए।
- कुल तीन बार ही इस क्रम को दुहरायें ।
अर्द्ध- पश्चिमोत्तानासन
- यदि दोनों पाँवों के अँगूठे एक साथ पकड़ने में कठिनाई का अनुभव हो तो एक पाँव को मोड़कर उसके तलवे को जाँघ से सटा लें,
- तथा दूसरे पाँव को सीधा फैलाकर उसके अंगूठे को दोनों हाथों से पकड़ने का अभ्यास करें।
- एक पाँव के अभ्यास में सफलता मिल जाने पर पहले पाँव को मोड़ते हुए यही क्रिया दूसरे पाँव से करें।
- दोनों पाँवों के अभ्यास क्रम को तीन-तीन बार दुहरायें।
- जब एक-एक पाँव का अभ्यास सिद्ध हो जाये, तब दोनों पाँवों से पूर्ण ‘पश्चिमोत्तानासन’ का अभ्यास प्रारम्भ करें।
विशेष
- कुछ अभ्यासी एक-एक पाँव को सीधा उठाकर तथा सिर को झुकाकर हाथों को सीधा रखते हुए भी पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते हैं ।
- अतः, जो विधि प्रारम्भ में सुविधाजनक प्रतीत हो, उसी के अभ्यास में प्रयत्नशील होना चाहिए।
- इस आसन के अभ्यास में मेरुदण्ड पर जोर पड़ता है, अतः प्रारम्भिक अभ्यासी इसमें अत्यधिक जोर न लगायें।
- कुछ सप्ताहों के नियमित अभ्यास से यह आसन सिद्ध हो जाता है ।
- इसे 3 से 5 बार तक दुहराया जाता है।
पश्चिमोत्तान आसन करने के लाभ
- यह आसन मेरुदण्ड को लचीला बनाता है, जिसके कारण बुढ़ापा दूर रहता है
- तथा वृद्धावस्था में भी मनुष्य सीधा तनकर बैठ, खड़ा हो अथवा चल सकता है।
- यह मेरुदण्ड के सभी विकारों, पीठ दर्द, उदर रोग, यकृत्-रोग तथा श्वास रोग में हितकर है।
- मोटापे को भी दूर करता है। इसके अभ्यास से गुर्दे की पथरी तथा श्वास रोग नहीं होते ।
- मधुमेह दूर करने में बहुत लाभकारी है।
- स्त्रियों के योनि दोष, मासिक धर्म-सम्बन्धी विकार तथा प्रदर आदि रोगों को दूर करता है।
- यह सर्दी, जुकाम, खाँसी, दमा, श्वास नली का पुराना शोथ (ब्राङ्काइटिस), प्रमेह, ध्वज-भङ्ग, गठिया, वात, अग्निमांद्य, कब्ज तथा अर्श (बवासीर) रोग में लाभकर है।
इन्हें भी करें 👇🏼
धनुरासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Dhanurasana
शलभासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Shalabhasana
भुजंगासन करने के लाभ व विधि | Benefits And Method Of Doing Bhujangasana
निष्कर्ष
आशा है आपको पश्चिमोत्तानासन करने की विधि व लाभसे सम्बंधित जानकारी अवश्य अच्छी लगी होगी। योगासन के नित्य अभ्यास से शरीर स्वस्थ रहता है। मनुष्य दीर्घायु होता है। अतः योगासन अवश्य करें व दूसरों को भी प्रेरित करें।
लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com