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धनुरासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Dhanurasana

धनुरासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Dhanurasana – योगासन शरीर को पुष्ट बनाता है। सभी अंगों को लचीला बनाकर स्फूर्ति लाता है। शरीर को निरोगी करता है

नियमित योगासन करने से शारिरिक व आत्मिक विकास होता है। आत्मविश्वास बढ़ता है। जीवन मे उत्साह बढ़ता है। आज हम आपको धनुरासन करने की विधि व फायदे के बारे में बताएंगे

धनुरासन करने की विधि

  • धनुरासन करने के लिए पेट के बल लेटकर अपने दोनों हाथों को दोनों बगलों में फैला दें।
  • फिर, पाँवों को घुटनों पर से मोड़कर, एड़ियों को नितम्ब प्रदेश के अधिक समीप ले आयें ।
  • टखनों को हाथों द्वारा दृढ़ता-पूर्वक पकड़ लें।
  • घुटनों को सटाकर, टखनों को एक दूसरे के अधिक समीप ले आएं और दाये अथवा बाँये गाल को भूमि पर रख लें ।
  • अब खूब गहरी साँस लेने के बाद अपनी गर्दन तथा सिर को सीधा करें ।
  • श्वास को रोके रखकर, अधिक प्रतीक्षा किये बिना अपने पाँवों से पीछे की ओर झटका दें।
  • एक साथ अधिक जोर न लगाकर, नरम बने रहें।
  • दोनों टखनों अथवा पाँव के अंगूठों को दोनों हाथों से पकड़े ही पाँवों को जितना ले जा सकें, सीधा पीछे की ओर ले जायें।
  • अब स्वयं को स्थिर रखें। बाहें बिल्कुल सीधी तनी हुई रहनी चाहिए।
  • इस प्रकार आपके पेट पर ही पूरे शरीर का दबाव बढ़ेगा और आप ‘धनुरासन’ की स्थिति में आ जायेंगे।
  • इस स्थिति में साँस की रोके हुए 5 से 6 सैकिण्ड तक रहें ।
  • फिर, धीरे-धीरे श्वास को छोड़ते हुए पृथ्वी पर लौटें। शरीर को एकदम नीचे न गिरायें।
  • लौटते समय टखनों को पकड़े ही रहें तथा लौटने की गति एक जैसी बनाये रहें।
  • तैयारी की स्थिति में आ जाने पर अपने गाल को पुनः भूमि पर रखें और स्वाभाविक रूप से श्वास ले और छोड़ें।
  • अब टखनों को छोड़कर, पाँवों को क्रमिक रूप से पृथ्वी पर लौट आने दें ।
  • तथा बाँहों को शरीर के दोनों ओर फर्श पर ले जाकर विश्राम करें।
  • इस प्रकार इस आसन का एक चक्र पूरा हो जायेगा।
  • 6 से 8 मिनट तक विश्राम करने के बाद उक्त चक्र को पुनः दुहराये।
  • पहले दिन केवल दो बार और बाद में अधिक-से-अधिक चार बार तक दुहराना चाहिए।

धनुरासन करने के फायदे

  • यह आसन शरीर के जोड़ों को सक्रिय तथा पुष्ट बनाता है।
  • पेट की सभी माँस-पेशियों पर इसका प्रबल प्रभाव पड़ता है,
  • फलतः यह उनकी विकृतियों को दूर कर, अनेक प्रकार के उदर रोगों का शमन तथा पाचन शक्ति को तीव्र करता है।
  • यह पेट तथा नितम्ब प्रदेश की फालतू चर्बी को घटाता है।
  • मेरुदण्ड में लचीलापन लाकर पेट की पीड़ा तथा अन्य विकृतियों को दूर करता है।
  • इसके प्रभाव से छाती, फेफड़े तथा गर्दन पुष्ट एवं क्रियाशील बनते हैं।
  • ऊपरी नलिकाओं में रक्त का प्रवाह तीव्र हो जाने के कारण मुखमण्डल अधिक दीप्तिमान बनता है।
  • महिलाओं के प्रजनन अङ्ग तथा मासिकधर्म-सम्बन्धी गड़बड़ी को दूर करता है।
  • इसके अभ्यास फूला हुआ पेट पिचक जाता है। नियमित अभ्यास से श्वास-रोग दूर होता है ।
  • गला, छाती, पसली तथा स्नायुमण्डल पुष्ट होते हैं।
  • पाचन संस्थान के सभी अङ्गों के विकारों से छुटकारा मिल जाता है।
  • मल निष्कासन में सहायक होने के साथ हाँ यह गठिया वात रोग में भी लाभप्रद सिद्ध होता है।

विशेष

शलभासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Shalabhasana

  • इस आसन के साथ ‘कुम्भक’ भी किया जाता है ।
  • तथा सन्तुलन बनाये रखकर आगे-पीछे लुढ़कने की क्रिया भी की जाती है।
  • यह आसन अत्यन्त लोकप्रिय है तथा इसे प्रत्येक आयु के स्त्री पुरुष कर सकते हैं।

निष्कर्ष

आशा है आपको धनुरासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Dhanurasana से सम्बन्धी लेख अवश्य पसंद आया होगा।

लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद

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4 thoughts on “धनुरासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Dhanurasana

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