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क्यों महत्वपूर्ण है सावन माह ?

सावन बहुत ही पवित्र माह है। और शिव जी को अतिप्रिय होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

 पौराणिक मान्यता अनुसार माता पार्वती ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन के सम्पूर्ण मास में व्रत व पूजा की थी और इसी माह में शिव पार्वती विवाह हुआ था । अतः इस पूरे महीने में शिवजी की पूजा व व्रत का विशेष महत्व है। इस मास शिव पार्वती की पूजा व व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन सोमवार, मंगलागौरी व्रत, प्रदोष व्रत शिवपार्वती को प्रसन्न करने हेतु करने चाहिए। 

                इस माह कावड़िये पवित्र नदियों का जल लेकर शिवालयों में पैदल नंगे पैर जाकर जलाभिषेक करते हैं । इसी माह समुद्रमंथन से उतपन्न विष को शिवजी ने पीकर अपने गले मे धारण कर सृष्टि की रक्षा की थी , ओर तब शिवभक्त रावण ने शिवजी का जलाभिषेक किया था जिससे विष से शिवजी को राहत हुई थी अतः श्रावण मास में शिव जी को जलाभिषेक अवश्य ही करना चाहिए। 

                भगवान विष्णु पर इस सृष्टि के नियंत्रण की जिम्मेदारी है किंतु योगनिद्रा में लीन होने से चार महीने महादेव उक्त कार्य को संभालते हैं, इस हेतु उनका परिवार एवम गण पृथ्वी पर विचरण करते हैं।अतः जितना हो सके सभी प्रकार से शिव आराधना करना चाहिए। 

महादेव की प्रसन्नता हेतु प्रतिदिन मिट्टी के रुद्र बनाकर जलाभिषेक करना चाहिए। बेलपत्ती, धतूरे के फूल , शमीपत्र, इत्यादि चढ़ाने चाहिए।  

               प्रसाद के रूप में भांग , मिठाई, नारियल चढ़ाए। ऐसी मान्यता है कि शिव जी को समर्पित किया हुआ प्रसाद स्वयं न खाकर गाय को खिलाना चाहिए। द्वार पर गाय , बैल व सांड के आने पर उसे मारकर न भगाएं, अपितु कुछ भी खाने को अवश्य दें। 

                    वैसे तो सावन में दिन में एक बार भोजन करना चाहिए, किन्तु यदि ऐसा सम्भव न हो तो दिन में ही दो बार भोजन करें किन्तु सूर्यास्त के पश्चात भोजन नही करना चाहिए। हरी शाक सब्जियां भी नही खाना चाहिए विशेषकर पत्तेदार सब्जी व बैंगन बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।इस बात का जरूर जरूर ध्यान रखें कि शिवजी अपने गण भी साथ लाएं है अतः विशेष सतर्कता रखनी चाहिए। सभी तरह से स्वयं की सुरक्षा अवश्य रखें।   

          श्रावण मास में सोलह सोमवार की भी शुरुवात की जाती है। एवं मंगलागौरी व्रत भी सुहागिन स्त्रियां माता पार्वती की प्रसन्नता हेतु रखती है। जिसमे सुहाग की समस्त सामग्री माता पार्वती को चढ़ाई जाती है। 

              सावन में तेल मसाला वाला भोजन बिल्कुल भी न करें व एकदम व्रती की तरह सादा, पवित्र व शाकाहारी भोजन करना चाहिए। मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें।                   निषेधों का पालन विशेष रूप से करें, वर्षा से होने वाली बीमारियों से स्वयं को सुरक्षित जरूर करें, घर पर सामान्य उपचार की दवाइयां जरूर रखें ताकि छोटी मोटी समस्या से स्वयं निपट सकें।

               सबसे अनोखी बात यह है कि यह मास , योगी, भोगी और रोगी तीनो ही को राहत व उपलब्धियां प्रदान करता है।  

                योगियों के लिए विशेष साधना काल होने से सिध्दिदायी होता है।  भोगियों के लिए शिवपूजन से मनोकामना पूर्ण करने वाला काल माना जाता है।  रोगी यदि पूर्ण निषेध व नियमों का पालन करें तो ये रोगमुक्ति काल भी माना जाता है।

                    2020 में दुर्लभ  संयोग  के साथ सावन माह जुलाई माह की 6 तारीख दिन सोमवार से प्रारम्भ होकर अगस्त माह की 3 तारीख दिन सोमवार को ही समाप्त हो रहा है। तथा 5 सोमवार मिल रहे हैं।जो क्रमशः 06, 13, 20, 27, जुलाई एवं 03 अगस्त को पड़ रहे हैं।

                 सावन सोमवार व्रत रखने वालों के लिये अच्छी खबर ये भी है कि तीसरे सोमवार को अमावस्या पड़ रही है , जिसे सोमवती अमावस या हरियाली अमावस भी कहते हैं। एवम पाँचवे सोमवार को पूर्णिमा पड़ रही है। अतः विशेष फलदायी होकर अत्यंत शुभ है। 

                   जानने योग्य बातें यह भी है कि 2020 श्रावण में 04 मंगलागौरी व्रत पड़ रहे हैं जो क्रमशः 07,14, 21, व 28 जुलाई को पड रहें हैं , जिनका बड़ा महत्व है सुहागिन स्त्रियां सुबह से स्नान कर माता पार्वती की पूजा कर समस्त सुहाग की सामग्री चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, आलता, पहनने के वस्त्र, कोई गहना इत्यादि मातारानी को अर्पित कर अखण्ड सुहाग की कामना करती हैं।   

                 विशेष ध्यान रखें की किसी भी देवी देवता को कोई भी गहना हमेशा सोना व चांदी के ही अर्पित करें। अन्य किसी भी धातु के गहने नही चढ़ाने चााहिये।अन्न्य धातुयें अपवित्र होती हैं। अतः पुष्प चढ़ाएं वही गहने हैं।

 इस माह में पड़ने वाले सभी व्रत व त्योहार :   

                        भोलेनाथ की कृपा से विशेष लाभकारी हो जाते हैं। जिसमें दिन बुधवार 08 जुलाई को गणेश चतुर्थी व्रत एवं 22 जुलाई दिन बुधवार को सिंधारा दूज तथा दिन गुरुवार को  16 जुलाई को कामिका एकादशी, 23 जुलाई गुरुवार को हरियाली तीज है जिस दिन से ही झूले झूलना प्रारम्भ किया जाता है। 30 जुलाई गुरुवार को पुत्रदा/पवित्रा एकादशी व्रत पड़ रहे हैं।
                        शुक्रवार 10 जुलाई को मौना पंचमी जो विशेषतः बिहार, व राजस्थान में मनाई जाती है, शुक्रवार 24 जुलाई को विनायक चतुर्थी /दूर्वा गणपति व्रत हैं। 

                        शनिवार 18 जुलाई को शनि प्रदोष व्रत एवं शिव चतुर्दशी, 25 जुलाई दिन शनिवार को नागपंचमी व कल्कि जयंती पड़ रहे हैं।   

                  अंत मे 03 जुलाई को तीन विशेषताओ के साथ (श्रावण सोमवार, श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन )श्रावण का यह पवित्र मास समाप्त होगा। सावन के साथ ही पवित्र त्योहारों और उल्लास का वातावरण समस्त सृष्टि में फैल जाता है। जो सावन माह को महत्वपूर्ण बनाता है।                      अतः इस अवसर का लाभ उठाते हुए समस्त नियमो का पालन कर पवित्रता से भगवान शिव की आराधना करें ताकि जिसका प्रभाव व शिवकृपा पूरे वर्ष हमारे जीवन पर बनी रहे। ॐ नमः शिवाय,?

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